विष्णु ने ये 6 छल क्यों किए? जानकर चौंक जाएंगे

अनिरुद्ध जोशी
भगवान श्री विष्णु ने ऐसे बहुत से कार्य किए जिसे उनका छल कहा गया जबकि यह सही नहीं है। इस शब्द का उपयोग करना भी उचित नहीं, क्योंकि उन्होंने जो भी किया वह धर्म की रक्षा के लिए किया। भगवान विष्णु के अब तक 24 अवतार हो चुके हैं और हर अवतार में उन्होंने अपने भक्तों के लिए ही कार्य किया। यहां छल लिखना हमारी मजबूरी है।
 
 
1.पहला छल : जब जलंधर अपनी पत्नि वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण अपार शक्तिशाली बनकर पार्वती और देवी लक्ष्मी के हरण करने की योजना बनाने लगा तब भगवान विष्णु जलंधर का वेष धारण करके वृंदा के पास पहुंच गए। वृंदा भगवान विष्णु को अपना पति जलंधर समझकर उनके साथ पत्नी के समान व्यवहार करने लगी। इससे वृंदा का पतिव्रत धर्म टूट गया और शिव ने जलंधर का वध कर दिया।
ALSO READ: विष्णु सहस्रनाम पाठ : भगवान श्री हरि के 1000 नामों से मनाएं देवशयनी एकादशी
 
2.दूसरा छल : भस्मासुर ने जब भगवान शिव से किसी के सिर पर भी हाथ रखखर उसे भस्म करने का वरदान प्राप्त कर लिया तो वह शिवजी को ही भस्म करने के लिए दौड़ा। भगवान शिव ने भी दौड़कर एक गुफा में शरण ली और तभी विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण करने भस्मासुर को लुभाया और उसे नृत्य के लिए उत्साहित किया। इस नृत्य के दौरान भस्मासुर ने खुद के ही सिर पर हाथ रख लिया और वह भस्म हो गया।
 
 
3.तीसरा छल : एक बार फिर भगान विष्णु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत को देवता और दैत्यों के बीच बांटने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया और सारा अमृत उन्होंने देवताओं को ही बांट दिया। लेकिन उसी दौरान राहु नाम के एक दैत्य को यह छल समझ में आ गया और वह देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गया और अमृत चख लिया। तभी देवताओं को इसका पता भी चल गया और उन्होंने अमृत पेट में जाए उससे पहले ही उसका सर धड़ से अलग कर दिया।
 
 
4.चौथा छल : माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम कभी भगवान शिव और पार्वती का विश्राम स्थान हुआ करता था। लेकिन श्रीहरि विष्णु को यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने इसे प्राप्त करने के लिए योजना बनाई। वे उस स्थान से दूर एक बालक के रूप में लेटकर रुदन करने लगे। माता पार्वती ने जब वह सुना तो वह वहां पहुंची और उन्हें उस बालक पर दया आ गई और वह शिवजी के साथ उसे अपने घर ले आई। शिवजी ने पार्वती से इस बालक को घर के बाहार छोड़ने के आग्रह किया लेकिन वह नहीं मानी। र बालक को घर में ले जाकर चुप कराकर सुलाने लगी। कुछ ही देर में बालक सो गया तब माता पार्वती बाहर आ गईं और शिवजी के साथ कुछ दूर भ्रमण पर चली गईं। भगवान विष्णु को इसी पल का इंतजार था। इन्होंने उठकर घर का दरवाजा बंद कर दिया।
 
 
भगवान शिव और पार्वती जब घर लौटे तो द्वार अंदर से बंद था। इन्होंने जब बालक से द्वार खोलने के लिए कहा तब अंदर से भगवान विष्णु ने कहा कि अब आप भूल जाइए भगवन्। यह स्थान मुझे बहुत पसंद आ गया है। मुझे यहीं विश्राम करने दी‍जिए। अब आप यहां से केदारनाथ जाएं। तब से लेकर आज तक बद्रीनाथ यहां पर अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं और भगवान शिव केदानाथ में।
 
 
5.पांचवां छल : मधु और कैटभ नाम के दो शक्तिशाली दैत्‍य थे, जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था और वे ब्रह्माजी को मारना चाहते थे। तब ब्रह्माजी ने विष्णु से गुहार लगाई। विष्णु ने अपने छल बल से कुछ ऐसा कार्य किया कि उन दोनों दैत्यों ने विष्णु से कहा कि वत्स तुम जो चाहो वरदान मांग लो। तब विष्णु ने तपाक से कहा कि मेरे हाथों से अपनी मृत्यु स्वीकार करो, उन दोनों ने भी सोचे बगैर ही बोल दिया तथास्तु। और तभी विष्णु ने अपनी जंघा पर दोनों का सिर रखकर उसे सुदर्शन चक्र से काट दिया।
 
 
6.छठा छल : एक बार की बात है जब देवी लक्ष्मी के स्वयंवर का आयोजन हुआ। यह बात जब नारदजी को पता चली तो उन्होंने विष्णु से कहा कि हे प्रभु आप मेरा स्वरूप आपके जैसा ही सुंदर बना दीजिए, क्योंकि में स्वयंवर में जाना चाहता हूं। भगवान ने ऐसा न करते हुए उनका स्वरूप वानर के समान बना दिया और वे दोनों ही स्वयंवर में चले गए।
 
 
नारद मुनि को देखकर सभी हंसने लगे। वहां शिव गणों ने उन्हें आईना दिखाया तब उन्हें पता चला कि मेरे साथ विष्णु ने छल किया है। तब नारदजी ने श्राप दिया कि जिस प्रकार मुझे स्त्री वियोग हुआ है उसी प्रकार अपने अवतारों में उन्हें भी लक्ष्मी से दूर ही रहना होगा। यही कारण था कि राम अवतार में उन्हें सीता वियोग हुआ और कृष्ण अवतार में उन्हें राधा से वियोग झेलना पड़ा।
 
 
इसके अलावा भगगाव विष्णु ने अपने अवतारी रूप में भी छल किए थे। जैसे वामन रूप में उन्होंने राजा बली से तीन पग धरती मांगकर छल किया। राम रूप में उन्होंने वानरराज बाली को छुपकर मार दिया था। श्री कृष्‍ण रूप में तो उन्होंने कई छल किए।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

आंवला नवमी कब है, क्या करते हैं इस दिन? महत्व और पूजा का मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

11 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

11 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Saptahik Muhurat 2024: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग 11 से 17 नवंबर

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा आज का दिन, पढ़ें 10 नवंबर का राशिफल

MahaKumbh : प्रयागराज महाकुंभ में तैनात किए जाएंगे 10000 सफाईकर्मी

अगला लेख
More