प्राकृत महाप्रलय में तीनों लोक जब नष्ट हो जाएंगे तो फिर कहां रहेगी सभी आत्माएं?

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020 (16:14 IST)
'सृष्टि के आदिकाल में न सत् था न असत्, न वायु था न आकाश, न मृत्यु थी और न अमरता, न रात थी न दिन, उस समय केवल वही एक था जो वायुरहित स्थिति में भी अपनी शक्ति से सांस ले रहा था। उसके अतिरिक्त कुछ नहीं था।'- ऋग्वेद (नासदीयसूक्त) 10-129
 
 
प्रलय क्या : प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना। प्रकृति का ब्रह्म में लय (लीन) हो जाना ही प्रलय है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड ही प्रकृति कही गई है। इसे ही शक्ति कहते हैं। जो जन्मा है वह मरेगा- पेड़, पौधे, प्राणी, मनुष्य, पितर, देवता, धरती, सूर्य, तारे सभी की आयु नियुक्त है। आयु के इस चक्र को समझने वाले समझते हैं कि प्रलय क्या है।
 
 
कब होगी महाप्रलय : प्रलय के प्रकार प्रलय चार प्रकार की होती है- नित्य, नैमित्तिक, द्विपार्थ और प्राकृत। प्राकृत ही महाप्रलय है, जो कल्प के अंत में होगी। एक कल्प में कई युग होते हैं। प्राकृ‍त में संपूर्ण ब्रह्मांड आदिकाल में जैसा था वैसा हो जाता है। अर्थात अंधाकार और निराकारमय।
 
 
प्राकृत प्रलय क्या : ब्राह्मांड के सभी भूखण्ड या ब्रह्माण्ड का मिट जाना, नष्ट हो जाना या भस्मरूप हो जाना प्राकृत प्रलय कहलाता है। प्राकृत प्रलय अर्थात प्रलय का वह उग्र रूप जिसमें तीनों लोकों सहित महतत्व अर्थात प्रकृति के पहले और मूल विकार तक का विनाश हो जाता है और प्रकृति भी ब्रह्म में लीन हो जाती है अर्थात संपूर्ण ब्रह्मांड शून्यावस्था में हो जाता है। न जल होता है, न वायु, न अग्नि होती है और न आकाश और ना अन्य कुछ। सिर्फ अंधकार रह जाता है।
 
 
अर्थात संपूर्ण ब्रह्मांड भस्म होकर पुन: पूर्व की अवस्था में हो जाता है, जबकि सिर्फ ईश्वर व आत्मा ही विद्यमान रह जाते हैं। न ग्रह होते हैं, न नक्षत्र, न अग्नि, न जल, न वायु, न आकाश और न जीवन। अनंत काल के बाद पुन: सृष्टि प्रारंभ होती है।
 
 
यहां रहती है आत्माएं : पुराणों अनुसार त्रैलोक्य (तीन लोक या जगत) होते हैं। ये 3 लोक हैं- 1. कृतक त्रैलोक्य, 2. महर्लोक, 3. अकृतक त्रैलोक्य।
 
 
1.कृतक त्रैलोक्य : इस कृतक त्रैलोक्य के 3 प्रकार है- 1.भूलोक, 2.भुवर्लोक, 3.स्वर्लोक (स्वर्ग)। इस कृतक त्रैलोक्य में ही सूर्य, धरती, चंद्र, ग्रह-नक्षत्र और तारे विद्यमान हैं। यहीं पर अनगिनत आत्माएं किसी भी आकार-प्रकार में रहकर निवास करती है।
 
 
2.महर्लोक : ध्रुवलोक से एक करोड़ योजन ऊपर महर्लोक है। कृतक और अकृतक लोक के बीच स्थित है 'महर्लोक' जो कल्प के अंत की प्रलय में केवल जनशून्य हो जाता है, लेकिन नष्ट नहीं होता। इसीलिए इसे कृतकाकृतक भी लोक कहते हैं। महर्लोक प्रलय से अछूता स्थान है जहां समय ठहरा हुआ है।
 
 
यह स्थान जनशून्य अवस्था में रहता है जहां प्रलयकाल में सामान्य या पापी आत्माएं स्थिर अवस्था में रहती हैं, यहीं पर महाप्रलय के दौरान सृष्टि भस्म के रूप में विद्यमान रहती है। यह लोक कृतक त्रैलोक्य और अकृतक त्रैलोक्य के बीच स्थित है। इस लोक के कोई प्रकार नहीं है।
 
 
3.अकृतक त्रैलोक्य : इस अकृतक त्रैलोक्य के भी 3 प्रकार है- 1.जनलोक, 2.तपलोक और 3.सत्यलोक। सत्यलोक को ब्रह्मलोक भी कहते हैं। कृतक त्रैलोक्य अर्थात जो नश्वर नहीं है अनश्वर है। जिसे मनुष्य स्वयं के सदकर्मो से ही अर्जित कर सकता है। अर्थात प्रलयकाल में जहां आत्माएं अचेत अवस्था में महर्लोक में अनंतकाल तक पड़ी रहती है वहीं जन, तप या सत्य लोक में वे आत्माएं प्रवेश कर जाती है जिन्होंने अपने जीवन में ध्यान, तप या सद्कर्मों को अर्जित किया है।

संदर्भ- विष्णु पुराण

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या गया जी श्राद्ध से होती है मोक्ष की प्राप्ति !

Budh asta 2024: बुध अस्त, इन राशियों के जातकों के लिए आने वाली है मुसीबत, कर लें ये उपाय

Weekly Horoscope: इस हफ्ते किसे मिलेगा भाग्य का साथ, जानें साप्ताहिक राशिफल (मेष से मीन राशि तक)

श्राद्ध पक्ष कब से प्रारंभ हो रहे हैं और कब है सर्वपितृ अमावस्या?

Shani gochar 2025: शनि के कुंभ राशि से निकलते ही इन 4 राशियों को परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

सभी देखें

धर्म संसार

Jyoti Jot Diwas: गुरु अमर दास जी ज्योति जोत दिवस Shri Guru Amar Das Ji

Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की नवमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त

सितंबर 2024 : यह महीना क्या लाया है 12 राशियों के लिए, जानें Monthly Rashifal

Surya kanya Gochar : सूर्य का कन्या राशि में गोचर से 4 राशियों के चमक जाएंगे भाग्य, होगा अचानक से धनलाभ

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का दूसरा दिन : श्राद्ध पक्ष में प्रतिपदा के श्राद्ध का महत्व, जानिए किसका करते हैं श्राद्ध

More