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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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जिंदगी बदल देंगी ये 10 जानकारियां

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यदि जिंदगी बदलना है तो पढ़ें हिन्दू धर्म के ये 10 तरह के ज्ञान। सुख, संपत्ति, समृद्धि, निरोगी काया और सभी तरह की शांति मिलेगी।
 
1.गीता: वेदों के ज्ञान को नए तरीके से किसी ने व्यवस्थित किया है तो वह हैं भगवान श्रीकृष्ण। गीता के भक्ति, ज्ञान और कर्म के मार्ग को नहीं समझा तो कुछ नहीं समझा।
 
2.योग : योग ही धर्म और आध्यात्म का एक वैज्ञानिक पथ है। इसके माध्यम से जिंदगी को बदला जा सकता है। योग मुख्यत: ब्रह्मयोग और दूसरा कर्मयोग में विभाजित है। पतंजलि ने योग को व्यवस्थित रूप दिया। योग सूत्र योग का सबसे उत्तम ग्रंथ है। 
 
3.आयुर्वेद: आयुर्वेद अनुसार जीवन जीने से किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। आयुर्वेद के प्रथम उपदेशक धन्वंतरि ऋषि को माना जाता है। उसके बाद च्यवन, सुश्रुत और चरक ऋषि का नाम उल्लेखनीय है। अश्विनी कुमारों ने इस चिकित्सा की खोज की थी। 
4.षड्दर्शन : भारत के इन छह दर्शन में ही सिमटा है दुनिया के सारे धर्म और दर्शन के सिद्धांत। ये 6 दर्शन हैं- 1.न्याय, 2.वैशेषिक, 3. मीमांसा, 4. सांख्य 5. वेदांत और 6. योग।  
 
5. ज्योतिष : ज्योतिष विद्या के कई अंग हैं जैसे सामुद्रिक शास्त्र, हस्तरेखा विज्ञान, अंक शास्त्र, अंगूठा शास्त्र, ताड़पत्र विज्ञान, नंदी नाड़ी ज्योतिष, पंच पक्षी सिद्धांत, नक्षत्र ज्योतिष, वैदिक ज्योतिष, रमल शास्त्र, पांचा विज्ञान आदि। ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा गया है।
 
6. वास्तु शास्त्र : वास्तु शास्त्र के अनुसार ही यज्ञ मंडप, मंदिर, देवालय, घर और शहर का निर्माण किया जाता है। दक्षिण भारत में वास्तु विज्ञान की नींव मय दानव ने रखी थी तो उत्तर भारत में विश्वकर्मा ने। वास्तु अनुसार घर होगा तो जीवन सुखी होगा।
 
7. यज्ञ : यज्ञ को पूजा-पाठ या कर्मकांड नहीं समझना चाहिए। वेदानुसार यज्ञ 5 प्रकार के होते हैं- 1. ब्रह्मयज्ञ, 2. देवयज्ञ, 3. पितृयज्ञ, 4. वैश्वदेव यज्ञ और 5. अतिथि यज्ञ। देवयज्ञ को ही अग्निहोत्र कर्म कहते हैं। यज्ञों का विवरण यजुर्वेद में मिलता है। 
 
8. तंत्र शास्त्र : तंत्र को मूलत: शैव आगम शास्त्रों से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन इसका मूल अथर्ववेद में है। तंत्र शास्त्र 3 भागों में विभक्त है आगम तंत्र, यामल तंत्र और मुख्‍य तंत्र। तंत्र विद्या के माध्‍यम से व्यक्ति अपनी आत्मशक्ति का विकास करके कई तरह की शक्तियों से संपन्न हो सकता है। 
 
9. मंत्र मार्ग : मंत्र का अर्थ है- मन को एक तंत्र में लाना। मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है तब वह सिद्ध होने लगता है। मुख्यत: 3 प्रकार के मंत्र होते हैं- 1.वैदिक मंत्र, 2. तांत्रिक मंत्र और 3. शाबर मंत्र। मंत्र जप के भेद- 1. वाचिक जप, 2. मानस जप और 3. उपाशु जप।
 
10. जाति स्मरण मार्ग: पूर्व जन्म को जानने के प्रयोग को जाति स्मरण कहा जाता है। दिनचर्या का क्रम सतत जारी रखते हुए 'मेमोरी रिवर्स' को बढ़ाते जाना ही जाति स्मरण की विधि है। उपनिषदों में जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति के बारे में विस्तार से उल्लेख है। इसको जानकर पूर्व जन्म को जाना जा सकता है।

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