हिन्दू धर्म में सफेद, लाल, नारंगी, पीला, केसरिया और भगवान रंग का बहुत महत्व है। गेरू और भगवा रंग एक ही है, लेकिन केसरिया में मामूली-सा अंतर है। हम गेरूआ, भगवा और केसरिया रंग को एक ही मानकर चलते हैं तो आओ जानते हैं केसरिया या भगवा रंग के 10 रहस्य।
1. केसरिया रंग त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। सनातन धर्म में केसरिया रंग उन साधु-संन्यासियों द्वारा धारण किया जाता है, जो मुमुक्षु होकर मोक्ष के मार्ग पर चलने लिए कृतसंकल्प होते हैं। ऐसे संन्यासी खुद और अपने परिवारों के सदस्यों का पिंडदान करके सभी तरह की मोह-माया त्यागकर आश्रम में रहते हैं।
2. भगवा वस्त्र को संयम, संकल्प और आत्मनियंत्रण का भी प्रतीक माना गया है। यह उन साधुओं का रंग है जिन्होंने तप से खुद को तपाया है।
3. केसरिया या भगवा रंग माता दुर्गा और हनुमानजी का रंग है जो इस रंग को धारण करता है उन्हें दोनों को आशीर्वाद मिलता है।
4. शिवाजी की सेना का ध्वज, राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों के ध्वज का रंग केसरिया ही था।
5. चित्त क्षोम और रात्रि अंधता में इस रंग का प्रयोग करना चाहिए।
6. भगवा या केसरिया सूर्योदय और सूर्यास्त का रंग भी है, मतलब हिन्दू की चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है यह।
7. अग्नि में आपको लाल, पीला और केसरिया रंग ही अधिक दिखाई देगा। हिन्दू धर्म में अग्नि का बहुत महत्व है। यज्ञ, दीपक और दाह-संस्कार अग्नि के ही कार्य हैं। अग्नि का संबंध पवित्र यज्ञों से भी है इसलिए भी केसरिया, पीला या नारंगी रंग हिन्दू परंपरा में बेहद शुभ माना गया है।
8. अग्नि संपूर्ण संसार में हवा की तरह व्याप्त है लेकिन वह तभी दिखाई देती है जबकि उसे किसी को जलाना, भस्म करना या जिंदा बनाए रखना होता है। संन्यासी का स्वभाव भी अग्नि की तरह होता है, लेकिन वह किसी को जलाने के लिए नहीं बल्कि ठंड जैसे हालात में ऊर्जा देने के लिए सूर्य की तरह होता है। संन्यासी का पथ भी अग्निपथ ही होता है। ऐसा कहा जाता है कि अग्नि बुराई का विनाश करती है और अज्ञानता की बेड़ियों से भी व्यक्ति को मुक्त करवाती है।
9. केसरिया या भगवा रंग शौर्य, बलिदान और वीरता का प्रतीक भी है।
10. केसरिया या भगवा रंग नारंगी या केसर के तन्तुओं के सिरे के रंग को कहते हैं। भारत के तिरंगे ध्वज के तीन रंगों में सबसे ऊपरी पट्टी का रंग भगवा ही होता है।
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