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सोना, चांदी, तांबा, पीतल पूजा में शुभ होती हैं ये 4 धातुएं, सेहत के लिए भी बेमिसाल

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, शुक्रवार, 11 नवंबर 2022 (18:21 IST)
Puja ki dhatu : आजकल स्टील, लोहे और प्लास्टिक का ज्यादा प्रचलन हो चला है। पुराने समय में पीतल और तांबे का ज्यादा प्रचलन था। अब यदि आप किसी के किचन में जाएंगे तो वहां पीतल या तांबे के बर्तन को ढूंढना पड़ेगा। पहले इन्हीं के बर्तन हुआ करते थे। अमीरों के घरों में चांदी के बर्तन होते थे। अब तो बस सभी जगह नान स्टीक या स्टील है।
 
पूजा की धातु: पूजा पाठ के लिए और मूर्तियों के लिए सोना, चांदी, पीतल और तांबे की मूर्तियां और पात्र सबसे ज्यादा शुभ माने जाते हैं। मूर्तियां पीतल की होना चाहिए। पानी का लोटा और आचमनी तांबे की होना चाहिए। पंचामृत के लिए चांदी की छोटी सी थाली में चांदी के चम्मच से पंचामृत देते हैं। भगवान को विराजमान करने के लिए चांदी का पाट का उपयोग करें या शीशम की लकड़ी का पाट लें। पूजा की सामग्री वाली थाली चांदी या पीतल की होना चाहिए। सोने का उपयोग कुछ विशेष जगह पर ही करें। चांदी के पात्रों से अभिषेक किया जाता है। दीपक मिट्टी या पीतल का होता है।
 
सोना : यह बहुत ही शुभ धातु है। सोना धारण करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और विकास होता है। सोने धारण करने से व्यक्ति निरोगी होता है और लंबी आयु प्राप्त करता है। इसी प्रकार यदि आप चांदी या तांबे के लोटे में सोने का एक टूकड़ा डाल दें और उस बार को थोड़ी समय बात पिएं तो यह स्वर्णयुक्त पानी बन जाएगा। यह स्वर्ण भस्म खाने की तरह ही लाभ देगा। इससे सूर्य बलवान होता है। दिवाली पूजा में सोने के सिक्के या आभूषण का महत्व है। सोना का दान भी किया जाता है।
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पीतल : शास्त्रों में सोने की तरह ही पीतल का प्रभाव बताया गया है। गुरु और सूर्य संबंधी परेशानी इससे दूर होती है। यह शांति और समृद्धि प्रदान करता है। यदि किसी की कुंडली में बृहस्पति दोष है तो पीतल का उपयोग करना चाहिए। पीतल के बर्तन में भोजन करना अत्यंत ही लाभकारी होता है। हालांकि बाल्टी और बटलोई पीतल की होना चाहिए। पूजा में पीतल की थाली और एक लोटा होता है। धनतेरस पर पीतल खरीदना शुभ होता है। पूजाघर में पीतल की मूर्तियां ही रखी जाती हैं।
 
तांबा : तांबे के बर्तन में पानी पीना अत्यंत ही लाभकारी होता है। यह कई तरह के रोग को भगा देता है। तांबा पानी को शुद्ध भी करता है। एक तांबे का घड़ा भी रखें। घर में पीतल और तांबे के प्रभाव से सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का निर्माण होता है। ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन में खाना वर्जित है। पूजा में तांबे के लोटे में पानी रखते हैं। कलश भी तांबे का ही होता है। 
 
चांदी : कुंडली में चंद्र, बुध या शुक्र कमजोर हो तो खाने में और पूजा में चांदी का उपयोग करना चाहिए। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र ग्रह अशुभ फल देता है उन व्यक्तियों को चांदी धारण करना चाहिए। जिन लोगों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती, मन विचलित रहता है, दिल और दिमाग में तालमेल नहीं बन पाता तो उन्हें चांदी धारण करना चाहिए। पूजा में चांदी का पाट रखना शुभ होता है। इस पाट पर भगवान को विराजमान किया जाता है।

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