Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बांग्लादेश में हैं माता के ये 5 शक्तिपीठ

हमें फॉलो करें बांग्लादेश में हैं माता के ये 5 शक्तिपीठ

अनिरुद्ध जोशी

, शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018 (15:27 IST)
भारत का बंटवारा जब हुआ था तब भारतीय हिन्दुओं ने अपने कई तीर्थ स्थल, शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिरों को खो दिया। वर्तमान में उनमें से बहुतों का अस्तित्व मिटा दिया गया और जो बच गए हैं वे भी अपनी अस्तित्व के मिट जाने के मुहाने पर है। आओ जानते हैं पूर्व में कभी भारत के हिस्से रहे पूर्वी बंगाल में स्थित माता के पांच शक्तिपीठों के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
1.श्रीशैल- महालक्ष्मी
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था। इसकी शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं।
 
2.करतोयातट- अपर्णा
बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी। इसकी शक्ति है अर्पण और भैरव को वामन कहते हैं।
 
 
3.यशोर- यशोरेश्वरी
बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं।
 
4.चट्टल- भवानी
बांग्लादेश में चिट्टागौंग (चटगांव) जिला के सीताकुंड स्टेशन के निकट चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी। इसकी शक्ति भवानी है और भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं।
 
 
5.जयंती- जयंती
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर जहां माता की बायीं जंघा गिरी थी। इसकी शक्ति है जयंती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अतिथि देवो भव:, जानिए अतिथि को देवता क्यों मानते हैं?