चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को श्रीराम और वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को श्री सीताजी ने जन्म लिया था। दूसरी ओर भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण ने और भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्रीराधा ने जन्म लिया था। आओ जानते हैं माता सीता और श्री राधा रानी के जीवन के अंतर और समानताओं पर एक नजर।
5 अंतर :
1. माता सीता शहरी स्त्री है और राधा जी एक ग्रामीण महिला है। अर्थात एक राजकुमारी थीं और दूसरी साधारण स्त्रीं। राधा को रानी कहा जाता है जबकि सीता को माता।
2. माता सीता प्रभु की पत्नि व सेविका है और राधा जी प्रेमिका हैं। माता सीता ने पत्नी धर्म निभाया तो राधा ने प्रेमिका का धर्म।
3. माता सीता की अग्नि कसौटी है परंतु श्री राधाजी की कोई अग्नि कसौटी नहीं है। परंतु श्रीराधा निरंतर विरह की अग्नि में जलती रहती थीं।
4. माता सीता ने प्रभु के लिए कभी कठोर शब्द नहीं कहे परंतु राधाजी ने प्रेमवश कठोर शब्द भी कहे और उन्हें डांटा भी।
5. सीता रामजी की तरह ही सहज थीं और परंतु राधा श्रीकृष्ण की तरह ही थीं। राधा प्रेम में नाचती और गाती थी परंतु माता सीताजी नहीं।
5 समानताएं :
1. दोनों का जन्म निराला है, मां के गर्भ नहीं जन्मी थीं।
2. राधा और सीता दोनों का जीवन विरह में बिता।
3. दोनों ही देवी लक्ष्मी का अवतार थीं। दोनों ही देवियां थीं।
4. दोनों ने अपने प्रिय के सामने ही देह त्याग किया था। सीता माता धरती में समा गई थीं तो राधा ने द्वारिका में कान्हा की वंशी सुनते हुए देह छोड़ दी थी।
5. दोनों को ही अपने प्रिय का वियोग सहना पड़ा था। सीता हरण के बाद राम और सीता को वियोग सहना पड़ा और जब रावण वध के बाद दोनों अयोध्या लौटे तो माता सीता को घर छोड़कर वाल्मीकि आश्रम में रहना पड़ा था और बाद में वह धरती में समा गई। इसी तरह श्री कृष्ण द्वारा वृंदावन छोड़ने के बाद श्रीराधाको वियोग सहना पड़ा।