Shrimad Bhagwat Puran katha: अधिकतर कथावाचक श्रीमद्भागवत पुराण की कथाओं का ही बखान करते हैं। कई जगहों पर भागवत कथा का आयोजन होता है। भागवत पुराण में श्रीकृष्ण की लीलाओं के साथ ही हिंदू धर्म की कई कथाओं और श्री हरि विष्णु के सभी अवतारों की कहानी को समेटा गया है। इनकी कथाओं का श्रवण करके श्रद्धालु खुद को धन्य महसूस करते हैं। कथा श्रवण का क्या है लाभ, जानिए।
सर्ववेदान्तसारं हि श्रीभागवतमिष्यते।
तद्रसामृततृप्तस्य नान्यत्र स्याद्रतिः क्वचित् ॥- भागवत पुराण
अर्थात : श्रीमद्भाग्वतम् सर्व वेदान्त का सार है। उस रसामृत के पान से जो तृप्त हो गया है, उसे किसी अन्य जगह पर कोई रति नहीं हो सकती। (अर्थात उसे किसी अन्य वस्तु में आनन्द नहीं आ सकता।
1. सात दिनों तक निरंतर भागवत कथा का श्रावण करने से मन में शुद्धता और निर्मलता का वास होता है। मस्तिष्क, मन और हृदय निर्मल हो जाते हैं।
2. इसके श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक आध्यात्मिक विकास होता है। मन में सही और गलत को समझने की क्षमता बढ़ती है।
3. भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। इससे श्रवण से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति की जा सकती है। कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।
4. भागवत कथा सुनने से हिंदू धर्म के कर्मकांड, नियम, दर्शन, ब्रह्मांड, सृष्टि निर्माण, जन्म-मरण, पुनर्जन्म, सप्तलोक, प्रलय, आत्मा, परमात्मा, काल, इतिहास और भविष्य का संक्षिप्त ज्ञान हो जाता है।
5. भागवत कथा सुनने से पापों से मुक्ति मिलती है और मरने के बाद जातक मोक्ष को प्राप्त करता है।
7. भागवत कथा सुनने से शरीर और मन के संताप मिट जाते हैं। तनाव हट जाता है और सुख शांति मिलती है।
8. भागवत कथा सुनने से जीवन में निराशा और नकारात्मकता के भाव नहीं आते हैं। सकारात्मकता और उत्साह का संचार होता है जोकि सफलता के लिए जरूरी है।
9. रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता है। परिवार के साथ बैठकर इसे सुनने से सभी का कल्याण होता है।
10. भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है, इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए। इससे सभी तरह के ग्रह दोष, मंगल दोष, पितृदोष, शनि दोष, राहु दोष और अन्य किसी भी प्रकार का दोष हो तो वह समाप्त हो जाता है।