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युद्धग्रस्त यूक्रेन से छात्रों की मुश्किलों की कहानी, जैसे-तैसे वतन लौटी छात्रा की जुबानी

हमें फॉलो करें युद्धग्रस्त यूक्रेन से छात्रों की मुश्किलों की कहानी, जैसे-तैसे वतन लौटी छात्रा की जुबानी
, गुरुवार, 3 मार्च 2022 (12:29 IST)
नोएडा। युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारत लौटी उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर की रहने वाली एक छात्रा ने कहा कि उसे एक समय ऐसा लगा था कि वह कभी घर नहीं लौट पाएगी।
 
ग्रेटर नोएडा में रहने वाली संस्कृति सिंह बुधवार को रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से भारत पहुंची। वह यूक्रेन में इवोना शहर के एक विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहती थी।
 
संस्कृति ने कहा कि रूस के हमले का इनोवा में ज्यादा असर नहीं हुआ था, लेकिन हवाई अड्डा बंद कर दिया गया था और छात्रावास के भोजनालय में खाना बनना बंद हो गया था। दुकानों और एटीएम पर लंबी-लंबी कतारें लगी थीं।
 
छात्रा ने कहा, 'इसे देखते हुए विद्यार्थियों ने अलग-अलग समूह बनाए और हर समूह को अलग-अलग काम की जिम्मेदारी सौंपी गई। किसी को खाना बनाने, तो किसी को बाजार से सामान लाने की जिम्मेदारी दी गई। पानी महंगा हो गया था। सामान्य तौर पर पांच लीटर पानी की बोतल 40 से 45 रुपये में मिलती थी, लेकिन वह 100 रुपए से अधिक की हो गई थी।'
 
संस्कृति ने बताया कि वह 26 फरवरी की सुबह रोमानिया और यूक्रेन की सीमा पर पहुंच गई थी, जहां पहले से ही बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। उसने कहा कि उस समय सीमा भारतीय छात्रों के लिए बंद थी और उसे बताया गया कि सीमा को अगले दिन खोला जाएगा।
 
संस्कृति ने कहा, 'तब मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैं घर वापस नहीं पहुंच पाऊंगी। उसने कहा कि अगले दिन सुबह सीमा पार करने के बाद उसकी जान में जान आई। उसने कहा कि रोमानिया में तापमान शून्य से छह डिग्री सेल्सियस नीचे था, ऐसे में वहां के लोग भारतीय छात्रों को कंबल दे रहे थे और उनके खान-पान का प्रबंध कर रहे थे।
 
यूक्रेन से मुंबई पहुंचे एक छात्र ने कहा कि वह यूक्रेन की सीमा पार करने में सफल रही, लेकिन कई छात्र अब भी फंसे हुए हैं। मैं प्रार्थना कर रही हूं कि वे भी वहां से बाहर निकल जाएं।
 
छात्रा ने कहा कि विमान में सीट आरक्षित कराना मुश्किल था। छात्रों को उड़ान में सीट नहीं मिल पा रही थी, लेकिन फिर भारतीय दूतावास ने इसमें हमारी मदद की।

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