कविता : वियोग एवं श्रृंगार

सुशील कुमार शर्मा
सपने मेरी आंख के, नयन नीर टपकाएं।
दिल की सरहद छोड़कर, तेरे तट तक जाएं।


 
नारी जीवन सर्प-सा, डसे स्वयं को आज।
पक्षी के पर कट गए, बंद हुई परवाज।
 
जादू तेरी आंख का, जाए हृदय को बींध।
मन चंचल बेचैन है, नैन निहारें नींद।
 
पिघली-पिघली आंच-सी, तुम हो तन के पास।
मन मेरा बैरी बना, तुम पर अटकी सांस।
 
सागर-सी गहरी लगे, मुझको तेरी आंख।
जीवन पिघला बर्फ-सा, मन-मयूर की पांख।
 
मन मयूर मकरंद भयो, जैसे नाचे मोर।
प्रीत पियारी-सी लगे, मन में उठत हिलोर।
 
प्रीत लपट में झुलसकर, मन हंसा बेचैन।
एक नजर की आस में, सावन बरसे नैन।
 
सागर जैसा दर्द है, पर्वत जैसी पीर।
प्रियतम तेरे विरह में, जीवन हुआ अधीर।
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

डेंगू का रामबाण इलाज चाहते हैं तो घर पर बनाएं ये असरदार आयुर्वेदिक काढ़ा

डेंगू के दौरान इस फल का सेवन क्यों है जरूरी? प्लेटलेट्स और इम्यूनिटी को करता है बूस्ट

डाइट में शामिल करें ये छोटा-सा खट्टा फल, बीपी और शुगर को नियंत्रित रखने में है बहुत फ़ायदेमंद

सर्दियों में तिल खाने से मिलते हैं हैरान करने वाले फायदे, हड्डियों के दर्द से भी मिलेगा आराम

इस Exercise को करने से शरीर को हो सकता है भारी नुकसान, जानिए कैसे बचें

सभी देखें

नवीनतम

ब्यूटी सीक्रेट्स : इस आसान तरीके से घर पर मिनटों में पाएं ग्लोइंग स्किन

ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर प्रतिबंध: क्या यह एक सही कदम है?

Indian Diet Plan : वजन घटाने के लिए इस साप्ताहिक डाइट प्लान को फॉलो करते ही हफ्ते भर में दिखेगा फर्क

Essay on Jawaharlal Nehru : पंडित जवाहरलाल नेहरू पर 600 शब्दों में हिन्दी निबंध

बिना दवाइयों के रखें सेहत का ख्याल, अपनाएं ये 10 सरल घरेलू नुस्खे

अगला लेख
More