रियो डि जेनेरियो। भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने नरसिंह यादव प्रकरण में रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि खेल पंचाट ने नोटिस इतने कम समय पर दिया कि ना तो नरसिंह अपनी दलील पेश कर सके और ना ही हमारे पास उनका विकल्प लाने के लिए समय मिल सका।
बृजभूषण ने नरसिंह पर लगे चार साल के प्रतिबंध के बाद उनके खिलाफ हुए षड्यंत्र की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से भी जांच कराने की मांग की है। बृजभूषण ने नरसिंह पर लगे प्रतिबंध के लिए विश्व डोपिंगरोधी एजेंसी (वाडा) से देरी से मिले नोटिस को जिम्मेदार ठहराया और साथ ही नरसिंह की बाउट से चंद घंटे पहले सुनवाई को संदिग्ध करार दिया। उन्होंने खेल पंचाट के कड़े फैसले पर भी ऐतराज जताया।
कुश्ती संघ के अध्यक्ष ने अपने बयान में पूरे घटनाक्रम की जानकरी दी। उन्होंने कहा, पिछले चार महीने से रियो ओलंपिक में 74 किग्रा फ्रीस्टाइल भार वर्ग में प्रतिनिधित्व करने की अटकलें 19 अगस्त को खत्म हो गईं, जिसमें नरसिंह को आखिरकार अंतरराष्ट्रीय खेल पंचाट ने चार वर्ष का प्रतिबंध लगाकर ओलंपिक से बाहर कर दिया तथा देश का एक पदक छीन लिया।
उन्होंने बताया कि वाडा ने 13 अगस्त को भारतीय दल प्रमुख राकेश गुप्ता को नोटिस दिया जिसकी जानकारी ना तो भारतीय कुश्ती संघ को थी और ना ही नरसिंह यादव को थी। 16 अगस्त को खेल पंचाट ने नरसिंह को उसके समक्ष प्रस्तुत होने के लिए कहा। चूंकि इसकी जानकारी बहुत देरी से मिली और नरसिंह ने सूचना देरी से मिलने के कारण खेल पंचाट के सामने प्रार्थना की कि उसे थोड़ा समय दिया जाए जिसे खेल पंचाट ने स्वीकार कर लिया और 18 अगस्त को प्रस्तुत होने के आदेश जारी किए।
18 अगस्त को नरसिंह एक तरफ अपना मेडिकल तथा वजन दे रहे थे वहीं दूसरी तरफ उनकी खेल पंचाट के सामने सुनवाई चल रही थी। ड्रॉ चार्ट के आधार पर उनका पहला मुकाबला फ्रांस के पहलवान से होना था, परंतु खेल पंचाट के आदेशानुसार नरसिंह को मुकाबला शुरू होने से चंद घंटे पहले प्रतियोगिता से बाहर कर दिया तथा देश को एक पदक का नुकसान झेलना पड़ा जिससे दूसरे पहलवानों का भी मनोबल टूटा।
बयान के अनुसार, एक अगस्त को राष्ट्रीय डोपिंगरोधी एजेंसी (नाडा) ने नरसिंह को क्लीनचिट दी थी तथा इसके बाद भारतीय कुश्ती संघ ने भरपूर कोशिश करके यूनाइटेट वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू), अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) तथा आयोजन समिति (ओसी) से नरसिंह को ओलंपिक में खेलने के लिए हरी झंडी दिलवाई। यूडब्ल्यूडब्ल्यू, आईओसी तथा ओसी से अनुमति मिलने के बाद नरसिंह 10 अगस्त को रियो के लिए रवाना हुए।
बृजभूषण ने कहा कि कुश्ती प्रतियोगिता शुरू होने के चंद घंटे पहले खेल पंचाट ने नरसिंह पर चार वर्ष का प्रतिबंध लगाकर 125 करोड़ देशवासियों को निराश कर दिया। भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ने वाडा की नाडा के फैसले के खिलाफ अपील की समय सीमा पर भी संशय जताया तथा बाउट से चंद घंटे पहले सुनवाई को काफी संदिग्ध बताया। उन्होंने इस कड़े फैसले पर भी ऐतराज जताया।
उन्होंने कहा, खेल पंचाट का नोटिस इतने कम समय पर मिला कि ना तो नरसिंह अपनी दलील पेश कर सके और ना ही वे अपने वकील को रियो बुला सके और ना ही भारतीय कुश्ती संघ के पास नरसिंह के विकल्प का उचित समय था। चूंकि नरसिंह अपना मेडिकल एवं वजन दे चुके थे, और उसके बाद यदि कोई वैकल्पिक पहलवान मौजूद भी होता तो प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता था। यदि वाडा कुछ समय पहले अपील करती तो शायद कुश्ती संघ के पास नरसिंह के रिप्लेसमेंट का समय होता।
खेल पंचाट पैनल के आधार पर नरसिंह षड्यंत्र के सबूत पेश करने में असमर्थ रहे। नरसिंह ने दलील दी कि वे उस शख्स के खिलाफ जिसने उनके अमीनो ड्रिंक में प्रतिबंधित दवा मिलाई थी, हरियाणा पुलिस में लिखित शिकायत कर चुका है, परंतु हरियाणा पुलिस की क्राइम इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (सीआईए) आज तक इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं कर सकी और ना ही उस शख्स को आज तक हिरासत में ले सकी जिसने देश के साथ देशद्रोह का काम किया।
उन्होंने कहा कि यदि सीआईए इस शख्स को हिरासत में लेकर पूछताछ करती तो शायद आज देश को एक मेडल का नुकसान नहीं होता तथा देश के एक बड़े पहलवान को चार साल का प्रतिबंध ना सहना पड़ता।
बृजभूषण और नरसिंह ने भारत सरकार से इस षड्यंत्र के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है जिससे आने वाले समय में किसी भी खिलाड़ी के साथ ऐसा घिनौना कार्य ना हो तथा इससे देश को पदकों का नुकसान ना हो। उन्होंने कहा कि आज देश केवल इन्हीं षड्यंत्र की वजह से ओलंपिक की पदक तालिका में सबसे पीछे है। (वार्ता)