Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बेटियों ने ओलंपिक में बचाई लाज, जगाई बेहतर भविष्य की उम्मीद...

हमें फॉलो करें बेटियों ने ओलंपिक में बचाई लाज, जगाई बेहतर भविष्य की उम्मीद...

नृपेंद्र गुप्ता

रियो ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन को इस बार पीवी सिंधु, साक्ष‍ी मलिक और दीपा करमाकर के प्रदर्शन की वजह से याद रखा जाएगा। देश की इन बेटियों ने जुझारूपन का परिचय देते हुए जिस दर्जे का खेल दिखाया उससे न सिर्फ भारतीय खुश हैं बल्कि विदेशी खेल दिग्गज भी दांतों तले अंगुलियां चबाने को मजबूर हैं।
 
जिस देश में पहले क्रिकेट के सिवा किसी अन्य खेल की कोई बात नहीं होती थी आज यहां सबकी जुबां पर बैडमिंटन, कुश्ती और जिमनास्टिक जैसे खेलों का नाम है। सोशल मीडिया पर आम लोग भी इन खेलों में प्रयोग की जाने वाली भाषा का इस्तेमाल बड़ी आसानी से उस तरह कर रहे हैं, मानो वे इसके विशेषज्ञ हो। 
 
सिंधु को भले ही बैडमिंटन के एकल वर्ग में मात्र एक पदक से ही संतोष करना पड़ा हो, पर जिस तरह से दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी मारिन के सामने संघर्ष किया, उसने हर शॉट पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। लोग अब भी पहले गेम के उन अंतिम कुछ मिनटों को याद कर रोमांचित हो रहे हैं, जब उन्होंने गेम जीतने की कगार पर खड़ी मारिन को स्तब्ध करते हुए गेम जीत लिया। मारिन को तो कुछ समझ भी नहीं आया कि क्या हुआ। 
 
इसी तरह कुश्ती में हरियाणा की साक्षी मलिक ने जो कारनामा किया वह बरसो-बरस भारतीय पहलवानों को जीत के लिए प्रेरित करता रहेगा। साक्षी रूसी पहलवान से हारने के बाद रेपोचेज राउंड में किर्गिजस्तान की एसुलू तिनिबेकोवा के खिलाफ उतरी थींं। तिनिबेकोवा से 0-5 से पिछड़ने के बाद उन्होंने करिश्माई वापसी करते हुए किर्गिजस्तान की एसुलू तिनिबेकोवा को 8-5 से पराजित किया। साक्षी इस तरह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं। 
 
दीपा करमाकर भले ही रियो ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाईंं, पर उन्होंने अपने प्रदर्शन से सबका दिल जरूर जीत लिया। वे महिला वाल्ट फाइनल्स में बहु्त ही कम अंतर से कांस्य पदक से चूककर चौथे स्थान पर रहीं, लेकिन उनके प्रदर्शन को देख स्वर्ण पदक विजेता भी दंग रह गईंं और उन्होंने इसकी तारीफ भी की। यह किसी भी भारतीय जिम्नास्ट का ओलंपिक इतिहास में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। वे उन सभी जिम्नास्टों की आदर्श बन गई हैंं, जो इस खेल में अपना करियर बनाना चाहती हैंं। 
 
आज भारतीय खेलों की ये तीनों नायिकाएं अपने प्रदर्शन के दम पर हम सभी से आह्वान कर रही हैंं कि आओ टोकियो 2020 की तैयारी में अभी से जुट जाएंं। हम तो पदक का रंग बदलने के लिए जी-जान लगा देंगे लेकिन अन्य खिलाड़ियों को भी मैदान में जमकर पसीना बहाना होगा। हर खेल में गोपीचंद, कुलदीप सिंह, बिश्वेश्वर नंदी जैसे कोच हैंं, पर जरूरत है सिंधु, साक्षी और दीपा जैसी साहसी खिलाड़ियों की। जिस तरह इन तीनों खिलाड़ियों ने बेहद अनुशासन में ट्रेनिंग कर ओलंपिक पदक तक का सफर किया, वैसे ही अन्य खिलाड़ी भी करेंं और ज्यादा से ज्यादा ओलंपिक में क्वालीफाय करें और पदक जीतेंं। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

तेंदुलकर ने की स्वस्थ जीवनशैली की वकालत