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गणतंत्र दिवस : रखना होगी सावधानी

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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गणतंत्र दिवस पर प्रत्येक वर्ष की तरह 26.1.2009 को दिल्ली में भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल राष्ट्रीय ध्वज फहराएँगी एवं तीनों सेनाओं की सलामी का गौरव हासिल कर भारत की सभी महिलाओं का मान बढ़ाएँगी।

26 जनवरी 2001 का वो दिन आज भी हमें याद है जब उस दिन लातूर (महाराष्ट्र) में भीषण भूकंप आया था, जो लातूर की कई जिंदगियों को लील गया था। उस जख्म को हम भूल गए, तो नया जख्म 2008 में मुंबई दे गया और अभी तक हम सबूत देते फिर रहे हैं।

हमारे नेतागण सिर्फ जुबानी खर्च के अलावा कुछ नहीं करते। हम अमेरिका को कब तक अपनी सच्चाई बताते जाएँगे। अब हमारी राष्ट्रपति को सख्ती से पेश आना होगा, तभी हम कुछ ठोस नतीजे पर पहुँच पाएँगे। वैसे ग्रहों के आसार से तो यही पता चलता है कि हम सिर्फ ढोल पीटते रहेंगे।

गणतंत्र दिवस
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इस समय मकर लग्न का उदय हो रहा है। लग्न में वक्री द्वितीय एवं नवम भाव के स्वामी बुध के साथ है, चन्द्र सप्तमेश मार्केश होकर तृतीय व द्वादश भाव के स्वामी गुरु के साथ-साथ अष्टम भाव का स्वामी सूर्य संग राहु भी है। वहीं अमावस्या भी है। शनि जहाँ लग्नेश है वहीं द्वितीयेश भी है, जो मार्केश होकर अष्टम में वक्री होकर अतिशत्रु अपने पिता सूर्य की राशि में विराजमान है।

मंगल द्वादश में मित्र राशि धनु में होकर सप्तम मारक चन्द्र पर अष्टम दृष्टि से देखने के कारण शुभ स्थिति नहीं है। किसी अनहोनी, घटना-दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। अभी इस समय अष्टमेश सूर्य में पंचमेश व दशमेश शुक्र की अर्न्तदशा में मार्केश द्वितीयेश व लग्नेश के प्रत्युन्तर शनि का चलने से रक्षा की दृष्टि से हमें काफी सावधानी रखना होगी। षष्ठ शत्रु भाव का स्वामी लग्न में वक्री भी है। ग्रहों की स्थिति ठीक न होने से हमारी जरा-सी चूक कष्टप्रद रह सकती है।

जहाँ गुरु चन्द्र गजकेसरी योग बना रहे हैं वहीं सूर्य चन्द्र होने से अमावस्या योग के साथ-साथ ग्रहण योग भी है। ग्रहण योग सूर्य-राहु साथ होने से बनता है। वैसे भी आज ग्रहण है। ग्रहण काल होने से भारत के लिए शुभ स्थिति वाली बात नहीं रहेगी।

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