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कोतवाली नहीं, दरगाह पर दर्ज होती है रिपोर्ट...

बंदीछोड़ बाबा की दरगाह की चमत्कारिक शक्ति

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मंदसौर। मंदसौर में सिटी कोतवाली ऐसा थाना है, जहां गुमशुदा की सूचना रोजनामचे में नहीं, बल्कि परिसर में स्थित दरगाह पर दर्ज होती है।

दरगाह पर दरख्वास्त लगाने के कुछ घंटों बाद ही गुमशुदा व्यक्ति लौट आता है। खुद पुलिस के आला अफसरों का दावा है कि गुमशुदगी के 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में दरगाह की चमत्कारिक शक्ति साबित हुई है। इसे आस्था कहें या अंधविश्वास ?

सैकड़ों वर्ष पुराने प्राचीन भवन से संचालित होता है सिटी कोतवाली।

थाना परिसर में ही एक देवस्थान है, जिसे बंदीछोड़ बाबा की दरगाह कहते हैं। इस दरगाह के चमत्कार से आम लोगों के साथ खाकी वर्दी भी अभिभूत है।

दरगाह पर पहुंचते हैं गुमशुदगी के मामल



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सात घंटों में ही मिल जाता है लापता बच्चा :

दरअसल थाने में आने वाले गुमशुदगी के मामले रोजनामचे में दर्ज होने के पहले दरगाह पर पहुंचते हैं। लापता शख्स यदि बच्चा है तो नतीजा सात घंटों में ही मिल जाता है।

थाने में कोई भी फरियादी किसी गुमशुदा की सूचना लेकर आता है, तो पुलिस उसे पहले दरगाह पर जाने की सलाह दी जाती है।

यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है। जिन लोगों को दरगाह की चमत्कारिक शक्ति की जानकारी होती है, वे रोजनामचे में सूचना दर्ज करवाने में रुचि नहीं रखते। दरगाह की वजह से गुमशुदगी के मामलों में पुलिस भी आश्वस्त रहती है।

जहां समान भाव से प्रार्थना करते हैं हिंदू-मुस्लिम



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पुलिस थाने में जिस चबूतरे पर दरगाह स्थित है, वहीं शिव, हनुमान एवं गणेश की प्रतिमाएं भी स्थापित है। यहां हिंदू-मुस्लिम दोनों संप्रदायों के श्रद्धालु समान भाव से प्रार्थना करते हैं।

थाने की ओर से एक पुजारी भी तैनात है, जो नियमित पूजा-पाठ एवं रखरखाव करता है। हाल ही में पुलिस ने ही इस चबूतरे का नवनिर्माण करवाया।

दरगाह के बारे में प्रामाणिक दस्तावेज तो मौजूद नहीं है, किन्तु इस संबंध में एक कथा प्रचलित है।

पुराने लोग बताते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत के दौर में इस स्थान पर कारागृह था। एक बार कुछ भारतीयों को यहां बंदी बनाकर रखा गया। एक भारतीय सिपाही ने उन्हें छोड़ दिया। बदले में उस सिपाही को मौत की सजा मिली। यह दरगाह उसी शहीद सिपाही की है। इसीलिए इसे बंदीछोड़ नाम दिया गया।

- एजेंसी

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