दो गांव जहां नहीं किए जाते आपस में रिश्ते, कारण जानकर शर्तिया मुस्कुरा उठेंगे

Webdunia
नंदगांव और बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है। माना जाता है कि कृष्ण राधा और उनकी गोपियों के साथ होली खेलने के लिए अपने ग्वालों के साथ नंदगांव से बरसाना आया करते थे और गोपियां उन्हें लाठियों से मारा करती थीं। तभी से परंपरा चलती आ रही है। ऐसी एक और अनोखी परंपरा नंदगांव और बरसाना के बीच सदियों से चलती जा रही है। बरसाना में नंदगांव का एक ही दामाद है। इसके पीछे का कारण भी बहुत रोचक है। 
 
राधा और कृष्ण के बीच के अद्वितीय संबंध के चलते आज भी नंदगांव और बरसाना के निवासियों के मध्य वैवाहिक संबंध नहीं किए जाते हैं। बताया जाता है कि हजारों साल पहले ही यह तय हो गया था कि दोनों गांवों में सिर्फ राधा-कृष्ण का ही प्रेम रहेगा। बरसाना का सिर्फ एक ही दामाद रहेगा, वो हैं श्रीकृष्ण और नंदगाव की बहू सिर्फ राधारानी। माना जाता है कि नया रिश्ता जोड़ा तो लोग इस प्रेम को भूल जाएंगे। उनके इसी प्रेम की धरोहर को आज नंदगांव और बरसाना के लोग सहेजे हुए हैं।
 
पांच हजार वर्ष पुराने राधा-कृष्ण के संबंध की मर्यादाओं को आज भी यहां के लोग वैसे ही निभाते चले आ रहे हैं। राधा कृष्ण के पौराणिक रिश्ते को मानते हुए बरसाना के वृद्ध लोग आज भी राधारानी की ससुराल नंदगांव की सीमा का पानी तक नहीं पीते। आज भी बरसाना में बेटी (राधा जी) की ससुराल नंदगांव से आए किसी भी व्यक्ति को धन, द्रव्य के साथ ससम्मान विदा किया जाता है।
 
दोनों गांवों के बीच करीब आठ किलोमीटर का फासला है। दोनों ही पहाड़ियों पर बसे हैं। ऊंचाई से देखने पर दोनों एक जैसे ही दिखते हैं। स्थानीय बुजुर्गों ने बताया कि दोनों गांवों में हर जाति बिरादरी के लोग रहते हैं, लेकिन किसी ने भी आज तक न तो बरसाना में बेटे की शादी की है न नंदगांव में किसी ने बेटी की। 
 
वही हुरियारे, वही हुरियारिन, प्रेम पगी लाठियां सहने के लिए वही ढाल। कुछ भी नहीं बदला है। नंदगांव बरसाना के निवासी एक-दूसरे के पूरक हैं। हास परिहास स्वरूप नंदगांव के लोग स्वयं को कृष्ण के सखा मानकर वृषभानु के जंवाई के रूप में बरसाना के लोगों से परिहास करते हों, लेकिन उनके इस परिहास के अंदर भी कृष्ण भक्ति की झलक दिखाई पड़ती है।
 
बरसाना की लट्ठमार होली में जब नाचते-झूमते लोग गांव में पहुंचते हैं तो औरतें हाथ में ली हुई लाठियों से उन्हें पीटना शुरू कर देती हैं और पुरुष खुद को बचाते भागते हैं। लेकिन खास बात यह है कि यह सब मारना-पीटना हंसी-खुशी के वातावरण में होता है। औरतें अपने गांवों के पुरुषों पर लाठियां नहीं बरसातीं। आसपास खड़े लोग बीच-बीच में रंग बरसाते हुए दिखते हैं। इस होली को देखने के लिए बड़ी संख्या में देश-विदेश से लोग बरसाना आते हैं। यह लट्ठमार होली आज भी बरसाना की औरतों/लड़कियों और नंदगांव के आदमियों/लड़कों के बीच खेली जाती है। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shraddha Paksha 2024: पितृ पक्ष में यदि अनुचित जगह पर श्राद्ध कर्म किया तो उसका नहीं मिलेगा फल

गुजरात के 10 प्रमुख धार्मिक स्थलों पर जाना न भूलें

Sukra Gochar : शुक्र का तुला राशि में गोचर, 4 राशियों के जीवन में बढ़ जाएंगी सुख-सुविधाएं

Vastu Tips for Balcony: वास्तु के अनुसार कैसे सजाएं आप अपनी बालकनी

सितंबर 2024 : यह महीना क्या लाया है 12 राशियों के लिए, जानें Monthly Rashifal

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: क्या लाया है आज का दिन आपके लिए, पढ़ें 21 सितंबर का दैनिक भविष्यफल

16 shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष पितृपक्ष में महाभरणी का है खास महत्व, गया श्राद्ध का मिलता है फल

21 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

21 सितंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का पांचवां दिन : जानिए चतुर्थी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

अगला लेख
More