Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

51 Shaktipeeth : वक्रेश्वर महिषमर्दिनी पश्चिम बंगाल शक्तिपीठ-47

हमें फॉलो करें vakreshwar shakti peeth

अनिरुद्ध जोशी

देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार  वक्रेश्वर- महिषमर्दिनी शक्तिपीठ के बारे में जानकारी।
 
 
कैसे बने ये शक्तिपीठ : जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है। 
 
वक्रेश्वर- महिषमर्दिनी : पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रूमध्य (मन:) गिरा था। इसकी शक्ति है महिषमर्दिनी और भैरव को वक्रनाथ कहते हैं।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दशहरा और विजयादशमी में क्या है फर्क, जानिए