मां पीतांबरा जयंती पर जानिए पीतांबरा पीठ के बारे में रोचक बातें

Webdunia
बुधवार, 4 मई 2022 (15:37 IST)
Shri pitambara peeth datia
श्री पीताम्बरा पीठ दतिया : मध्यप्रदेश के दतिया शहर में पीतांबरा पीठ स्थित है। इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है। यहां पर महाभारतकालीन वनखण्डेश्वर शिव मंदिर स्थित है। कहते हैं कि पीतांबरा पीठ क्षेत्र में श्री स्वामीजी महाराज के द्वारा मां बगलामुखी देवी और माता धूमवाती देवी की मूर्ति की स्थापना 1935 में की गयी थी।
 
 
धूमावती और बगलामुखी की जयंती : 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति मां धूमावती का प्रकटोत्सव ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाते हैं जबकि हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी माह के अनुसार इस बार यह बगलामुखी जयंती 9 मई 2022 मंगलवार को मनाई जाएगी। मां बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक आठवीं महाविद्या है। 
 
मां बगलामुखी को ही पीतांबरा भी कहते हैं। 
 
बगलामुखी शक्तिपीठ : भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर और शक्तिपीठ माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं। तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है।
देवी की उत्पत्ति : बगलामुखी देवी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है। कहते हैं कि हल्दी रंग के जल से इनका प्रकाट्य हुआ था। एक अन्य मान्यता अनुसार देवी का प्रादुर्भाव भगवान विष्णु से संबंधित हैं। परिणामस्वरूप देवी सत्व गुण सम्पन्न तथा वैष्णव संप्रदाय से संबंध रखती हैं। परन्तु, कुछ अन्य परिस्थितियों में देवी तामसी गुण से संबंध भी रखती हैं।
 
पीताम्बरा देवी की मूर्ति के हाथों में मुदगर, पाश, वज्र एवं शत्रुजिव्हा है। यह शत्रुओं की जीभ को कीलित कर देती हैं। मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्त होती है। शुत्र पूरी तरह पराजित हो जाते हैं। 
 
देवी त्रिनेत्रा हैं, मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती है, पीले शारीरिक वर्ण युक्त है, देवी ने पीला वस्त्र, आभूषण तथा पीले फूलों की माला धारण की हुई है। इसीलिए उनका एक नाम पितांबरा भी है। कहते हैं कि देवी बगलामुखी, समुद्र के मध्य में स्थित मणिमय द्वीप में अमूल्य रत्नों से सुसज्जित सिंहासन पर विराजमान हैं। देवी ने अपने बाएं हाथ से शत्रु या दैत्य के जिह्वा को पकड़ कर खींच रखा है तथा दाएं हाथ से गदा उठाए हुए हैं, जिससे शत्रु अत्यंत भयभीत हो रहा है। कई स्थानों में देवी ने मृत शरीर या शव को अपना आसन बना रखा है तथा शव पर ही आरूढ़ हैं तथा दैत्य या शत्रु की जिह्वा को पकड़ रखा हैं। यह रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

कृष्ण के जीवन से सीखें ये 10 मैनेजमेंट मंत्र, ज़िन्दगी बनेगी आदर्श और आसान

Hartalika Teej 2024 Date: हरतालिका तीज 2024 मुहूर्त टाइम, व्रत, अनुष्‍ठान विधि

krishna janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर कैसे करें भगवान कृष्ण का ध्यान, जानें पूजा विधि एवं मंत्र

krishna janmashtami 2024: श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024 पर क्या है निशीथ पूजा का मुहूर्त?

krishna janmashtami 2024: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहे हैं दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा आशीर्वाद

सभी देखें

धर्म संसार

Radha ji ke Naam: राधा रानी के भक्ति भरे इन प्यारे नामों पर रखें अपनी बिटिया का नाम, उज्ज्वल होगा भविष्य

25 अगस्त 2024 : आपका जन्मदिन

25 अगस्त 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Krishna Janmashtami 2024 : श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर पढ़ें विशेष सामग्री (यहां क्लिक करें)

Janmashtami Wishes 2024: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर शेयर करें ये 10 खुबसूरत शुभकामना संदेश

अगला लेख
More