करणी माता मंदिर, जहां होती है 20 हजार चूहों की पूजा, जानिए इसका इतिहास

Webdunia
प्रथमेश व्यास
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता माने गए है, जिनका पूजन भक्तों द्वारा अपने अपने ढंग से किया जाता है। हिन्दू धर्म में हवा, पृथ्वी, जल, पशु-पक्षी आदि को भी भगवान के रूप में पूजा जाता है तथा इनके मंदिरों के बारे में भी आपने कई बार सुना होगा। एक ऐसा ही मंदिर है - बीकानेर राजस्थान में, जो इन दिनों काफी चर्चा में है। ये है देशनोक का करणी माता मंदिर, जो दुनियाभर में 'चूहों के एकमात्र मंदिर' के नाम से भी प्रसिद्द है। तो आइए विस्तार से जानते है, इस मंदिर के बारे में। ..... 
 
यह मंदिर उन 20 हजार काले और कुछ सफेद चूहों के लिए प्रसिद्ध है, जो इसी मंदिर में रहते है और पूजनीय है। यहां चूहों को पवित्र माना जाता है और इन्हें "कब्बा" कहा जाता है। बहुत से लोग दूर-दूर से इस मंदिर में चूहों के प्रति सम्मान व्यक्त करने और अपनी इच्छाओं को वास्तविकता के रूप में प्राप्त करने के लिए आते हैं। इसे 19वी शताब्दी में महाराजा गंगा सिंह द्वारा बनवाया गया था। मुगल शैली में डिजाइन किए गए इस मंदिर को बनाने में संगमरमर के पत्थरों का उपयोग किया गया है। 
 
इस मंदिर का मुख्य द्वार ठोस चांदी से बना हुआ है। मंदिर के भीतर भी अन्य कई चांदी के दरवाजे स्थित है, जिनपर इस मंदिर के इतिहास से जुड़ी कलाकृतियां अंकित है। देवी का मंदिर आतंरिक गर्भगृह में है। साल 1999 में हैदराबाद के जौहरी कुन्दलाल वर्मा के सहयोग से इस मंदिर को और अधिक सजाया गया तथा संगमरमर की नक्काशी और चांदी के चूहे भी उनके द्वारा मंदिर को दान किए गए।  
 
क्या है मंदिर की रोचक कहानी?
स्थानीय लोककथाओं के अनुसार , एक बार 20 हजार सैनिकों की फौज किसी युद्ध से पीठ दिखाकर देशनोक गांव भाग आई। जब करणी माता को इस बात का पता चला कि ये सैनिक युद्ध में पीठ दिखाकर यहां आए हैं, तो माता ने उन सभी सैनिकों को दण्डस्वरुप चूहों में बदल दिया। सैनिकों ने भी बदले में कृतज्ञता व्यक्त की और देवी से हमेशा उनकी सेवा करने का वादा किया। आपको सभी चूहों में से कुछ सफेद चूहे भी मिल सकते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे स्वयं करणी माता और उनके चार पुत्र हैं।
 
एक अन्य किंवदंती कहती है कि एक बार करणी माता का सौतेला पुत्र लक्ष्मण पानी पीने के दौरान कोलायत तहसील के कपिल सरोवर नामक तालाब में डूब गए थे। माता ने मृत्यु के देवता यम से उन्हें जीवनदान देने के लिए प्रार्थना की, जिसे यम ने पहले मना कर दिया और बाद में लक्ष्मण और माता के सभी नर बच्चों को चूहों के रूप में पुनर्जन्म की अनुमति दी।
 
मंदिर का निर्माण 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में पूरा हुआ था। यह मंदिर इसकी पौराणिक और लोककथाओं के लिए बहुत प्रसिद्ध है। मंदिर को उच्च आस्था का स्थान भी माना जाता है जहां लोग देवी का आशीर्वाद लेने आते हैं। यह भी माना जाता है कि अगर किसी चूहे को मार दिया जाए तो उसे चांदी के चूहे से बदल दिया जाना चाहिए। 
 
कैसे पंहुचा जाए?
करणी माता मंदिर तक पहुंचना बहुत आसान है। बीकानेर से देशनोक की दूरी 30 किलोमीटर है, जहां बस, ट्रैन, टैक्सी आदि से पंहुचा जा सकता है। अगर आप अपने साधन से जाना चाहते हैं, तो रास्ता बिल्कुल सीधा और सरल है।  

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

सभी देखें

धर्म संसार

13 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

13 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Dev uthani ekadasshi 2024: देव उठनी एकादशी का पारण समय क्या है?

नीलम कब और क्यों नहीं करता है असर, जानें 7 सावधानियां

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर कब, कहां और कितने दीपक जलाएं?

अगला लेख
More