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बड़ा महादेव कहां है? क्या है कथा? क्यों है महत्व? कौन सा बोलें मंत्र?

हमें फॉलो करें बड़ा महादेव कहां है? क्या है कथा? क्यों है महत्व? कौन सा बोलें मंत्र?
, शुक्रवार, 2 जून 2023 (11:22 IST)
Bada Mahadev Pujan : प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन बड़ा महादेव का पूजन करते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 2 जून 2023 को यह पूजा की जा रही है। यहां पर इस अवसार पर मेला भी लगता है। दूर दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं और बड़ा महादेव की पूजा करते हैं। आओ जानते हैं कि बड़ा महादेव का मंदिर कहां पर है, क्या महत्व है और इसके पीछे जुड़ी क्या कथा है?
 
कहां है बड़ा महादेव का मंदिर | where is the big mahadev temple:-
 
  • मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी के चौरागढ़ में स्थित है बड़ा महादेव का मंदिर। 
  • पचमढ़ी शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर चौरागढ़ पहाड़ी स्थित है। 
  • सतपुड़ा पर्वत की मालाओं के बीच स्थित है यह पहाड़ी।
  • चौराबाबा के नाम पर रखा गया पहाड़ी का नाम।
  • पहाड़ी पर मंदिर में पहुंचने के लिए पहले को कई पथरिले रास्ते तय करना होते हैं।
  • महादेव मंदिर से 3 किमी का पैदल चलना होता है। 1300 सीढ़ियों की चढ़ाई है।
  • बड़ा महादेव मंदिर में एक गुफा है, जो बहुत ही खूबसूरत है और यह पहाड़ी पर बनी है। 
  • इस गुफा के अंदर आपको एक जलकुंड देखने मिलेगा।
  • जब आप गुफा में जाते हैं तो आपको शंकर जी का शिवलिंग और उसके साथ ही साथ गणेश जी देखने मिलते हैं।
  • गुफा के द्वार में नंदी भगवान की प्रतिमा बैठी हुई है जो पत्थर की बनी हुई है।
 
बड़ा महादेव मंदिर की क्या है कथा?
कहते हैं कि यही पर भगवान शंकर ने भस्मासुर को वरदान दिया था और यहीं पर उनको विष्णुजी से मदद लेना पड़ी थी। यहां की कथा संत भूरा महाराज से भी जुड़ी हुई है। किवदंतियों के अनुसार चौरागढ़ की पहाड़ियों में कठित साधना के दौरान भूरा भगत महराज को महादेवजी ने दर्शन दिए थे। शिवजी से उन्होंने वरदान मांगा कि मैं आपके ही चरणों में रहूं और यहां आने वाले को आप तक पहुंचने का मार्ग बता सकूं।
 
वरदान के चलते भूरा भगत महाराज एक शिला के रूप में आज भी वहां मौजूद हैं। संत भूरा भगत की प्रतिमा ऐसे स्थान पर विराजमान है जिसे देखने से अनुमान लगता है मानों भगवान भोलेनाथ के मुख्यद्वार पर द्वारपाल की तरह वे बैठे हों। उसी के कारण यहां भी मेला भरता है। भक्त यहां गुलाल, सिंदूर, कपूर, खारक, सुपारी और बड़े त्रिशूल चढ़ाते हैं। संत भूरा महाराज की एक प्रतिमा चौरागढ़ में भगवान भोलेनाथ के ठीक सामने स्थापित की गई है। दूर-दूर से लोग चौरागढ़ पचमढ़ी में महादेव की पूजाकरने आते हैं। यह कहावत है कि महादेव दर्शन हेतु जाने से पहले, भूर भगत (छिंदवाड़ा) को पार करना आवश्यक है।
 
क्या बोलें मंत्र : 
  • ॐ नम: शिवाय: पंचाक्षरी मंत्र के अलावा महामृत्युजय मंत्र का जाप करें। पहाड़ी चढ़ते वक्त हर हर महादेव, बम बम भोले का उद्घोष करें।
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भूरा भगत की कथा :
माना जाता है कि 16वीं सदी में भक्तिकालीन युग में संत भूरा भगत महाराज का जन्म नागवंशी परिवार में हुआ। उन्हें कतिया समाज का कुलदेव माना जाता है। गौंड समाज और आदिवासी समाज के लोग भी उन्हें अपने समाज का प्रसिद्ध संत मानते हैं। संत भूरा भगत बचपन से ही भक्त प्रवृत्ति के थे। बचपन से ही प्रभु भक्ति में लीन रहने वाले संत भूरा महाराज एक बार ध्यान में ऐसे मगन हुए की दूसरे दिन उनकी समाधि टूटी। उस दिन के बाद वे घरबार त्यागकर प्रभु भक्ति के लिए पहाड़ पर तप करने हेतु चले गए। बाद में तपस्या करके उन्होंने भोलेनाथ को प्रसन्न कर लिया और भोलेनाथ ने उन्हें आशीर्वाद के साथ ही वरदान भी दिया।
 
उन्होंने धवला गिरी पर्वत पर तप करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया। यह स्थान अब परम पवित्र माना जाता है। यह उनकी साधना स्थली अब तीर्थ स्थल के समान है। संत की प्रतिमा एक शिला के रूप में यहां विद्यमान है। छिंदवाड़ा जिले के नांदिया ग्राम के पहले देनवा नदी के पास यह प्रतिमा विराजमान है। यहां शिवरात्रि के दिन मेला भी लगता है। 
 
संत भूरा महाराज की एक प्रतिमा चौरागढ़ में भगवान भोलेनाथ के ठीक सामने स्थापित की गई है। दूर-दूर से लोग चौरागढ़ पचमढ़ी में महादेव की पूजा करने आते हैं। यह कहावत है कि महादेव दर्शन हेतु जाने से पहले, भूर भगत (छिंदवाड़ा) को पार करना आवश्यक है। किवदंतियों के अनुसार चौरागढ़ की पहाड़ियों में साधना के दौरान भूरा भगत महराज को महादेवजी ने दर्शन दिए थे। 
 
शिवजी से उन्होंने वरदान मांगा कि मैं आपके ही चरणों में रहूं और यहां आने वाले को आपका मार्ग बता सकूं। भूरा भगत महाज एक शिला के रूप में वहां मौजूद हैं। संत भूरा भगत की प्रतिमा ऐसे स्थान पर विराजमान है जिसे देखने से अनुमान लगता है मानों भगवान भोलेनाथ के मुख्यद्वार पर द्वारपाल की तरह वे बैठे हों। उसी के कारण यहां भी मेला भरता है। भक्त यहां गुलाल, सिंदूर, कपूर, खारक, सुपारी और बड़े त्रिशूल चढ़ाते हैं।
 
कैसे पहुंचें चौरागढ़:-
  1. ट्रेन, फ्लाइट या बस से आप पहले मध्यप्रदेश के जबलपुर पहुंच जाएं।
  2. जबलपुर से आप बस या टैक्सी के द्वारा पंचमढ़ी पहुंचें।
  3. जबलपुर से पिपरिया के लिए ट्रेन मिलती है, वहां से पंचमढ़ी पास में ही जहां बस में जा सकते हैं।
  4. पिपरिया रेलवे स्टेशन कई बड़े शहरों से जुड़ा है, जबलपुर और इटारसी से यहां के लिए आसानी से ट्रेन मिलती है।
 

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