अमरकंटक : तपो‍भूमि और प्राकृतिक छटा, जहां जाने से मिलता है मोक्ष

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 21 अगस्त 2020 (17:55 IST)
मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ तहसील में स्थित नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंट कई ऋषि-मुनियों की तप-स्थली होने के साथ ही यह स्थल आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से बहुत ही सुंदर और मनोरम है। अमरकंटक का उल्लेख महाभारत काल में भी मिलता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थल महत्वपूर्ण है।


 
तपस्थली : कहते हैं, किसी जमाने में यहां पर मेकल, व्यास, भृगु और कपिल आदि ऋषियों ने तप किया था। ध्यानियों के लिए अमरकंटक बहुत ही महत्व का स्थान है। जगतगुरु शंकराचार्य ने यही पर नर्मदा के सम्मान में नर्मदाष्टक लिखा था। भारत भ्रमण करते समय शंकराचार्य ने कुछ दिन यहां गुजारे और कई मंदिरों की स्थापना की। बीर ने भी यहां कुछ समय बिताया था, जिसे आज कबीर चौरा के नाम से जाना जाता है।
 
 
मंदिर : अमरकंट के कोटितीर्थ के मंदिरों के अलावा यहां से कुछ कदमों की दुरी पर कल्चुरि राजाओं के द्वारा बनाए गए मंदिर हैं। यहां स्थित मंदिरों में पातालेश्वर महादेव मंदिर, शिव, विष्णु, जोहिला, कर्ण मंदिर और पंचमठ महत्वपूर्ण है। पातालेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्थापना शंकराचार्य ने की थी। इस मंदिर की विशेषता यह है कि शिवलिंग मुख्य भूमि से दस फीट नीचे स्थित है यहां श्रावण मास के एक सोमवार को नर्मदा का पानी पहुंचता है। कोटितीर्थ से आठ किमी उत्तर में स्थित है 'जलेश्वर महादेव'। यहां के मंदिरों को संवारने का कार्य कई शासकों ने किया जिनमें नाग, कल्चुरि, मराठा और बघेल वंश के शासक रहे हैं। 
 
नर्मदा का उद्गम स्थल : कोटितार्थ मां नर्मदा का उद्गम स्थल है। यहां सफेद रंग के लगभग 34 मंदिर हैं। यहां नर्मदा उद्गम कुंड है, जहां से नर्मदा नदी का उद्गम है जहां से नर्मदा प्रवाहमान होती है। मंदिर परिसरों में सूर्य, लक्ष्मी, शिव, गणेश, विष्णु आदि देवी-देवताओं के मंदिर है।
 
शोण शक्तिपीठ : मध्यप्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा मन्दिर शोण शक्तिपीठ है। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। एक दूसरी मान्यता यह है कि बिहार के सासाराम का ताराचण्डी मन्दिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है। यहां सती का दायां नेत्रा गिरा था ऐसा माना जाता है। यहां की शक्ति नर्मदा या शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसेन हैं।
 
 
प्राकृतिक सुंदरता : अमरकंटक अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। अमरकंटक मैकल पर्वतश्रेणी की सबसे ऊंची श्रृंखला है। विंध्याचल, सतपुड़ा और मैकल पर्वतश्रेणियों की शुरुआत यही से होती है। अमरकंटक अपने औषधि वाले जंगल के लिए जाना जाता है। यहां तरह-तरह की औषधियां मिलती हैं।
 
नदियों का उद्गम स्थल : समुद्रतल से अमरकंटक 3600 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरकंटक को नदियों की जननी कहा जाता है। यहां से लगभग पांच नदियों का उद्गम होता है जिसमें नर्मदा नदी, सोन नदी और जोहिला नदी प्रमुख है।
 
 
अमरकंटक के कोटितीर्थ से लगभग एक किमी दूर स्थित है सोनमुंग जिसे सोनमुड़ा भी कहते हैं। सोनमुंग से ही सोन नदी का उद्गम होता है जो उत्तर की ओर बहती हुई गंगा नदी में मिल जाती है। सोनमुंग से प्राकृतिक नजारा देखने लायक है। प्रकृतिप्रेमियों के लिए यह जगह आनंद देने वाली है। यहां बंदरों की आप पूरी फौज को देख सकते हैं। यहां के बंदरों की खासियत यह है कि यह सभी भी शांत चित्त नजर आते हैं। सोनमुंग से एक किमी दूर स्थित है माई की बगिया। लोक मान्यता अनुसार यहां नर्मदा नदी बचपन में खेल खेला करती थी। माई की बगिया से लगभग 3 किमी दूर स्थित है नर्मदा द्वारा बनाया गया पहला जलप्रपात जिसे कपिलधारा के नाम से भी जाना जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mahalaxmi Vrat 2024 : 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत शुरू, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Dussehra 2024: शारदीय नवरात्रि इस बार 10 दिवसीय, जानिए कब रहेगा दशहरा?

Ganesh Visarjan 2024: गणेश विसर्जन का 10वें दिन का शुभ मुहूर्त 2024, विदाई की विधि जानें

Surya gochar 2024 : शनि की सूर्य पर शुभ दृष्टि से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन

Parivartini Ekadashi: पार्श्व एकादशी 2024 व्रत पूजा विधि, अचूक उपाय, मंत्र एवं पारण मुहूर्त

सभी देखें

धर्म संसार

Maharishi Dadhichi : दधीचि जयंती आज, पढ़ें उनके जीवन की 10 अनसुनी बातें

राधाष्टमी: श्री राधा रानी के जन्मदिन पर बन रहे हैं शुभ योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Aaj Ka Rashifal: 11 सितंबर 2024 का राशिफल, जानिए किसे मिलेगी खुशखबरी, किसे होगा कष्ट

Surya in kanya : 16 सितंबर को सूर्य के कन्या राशि में जाने से 4 राशियों के बुरे दिन होंगे शुरू

11 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More