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पाकिस्तान में स्थित ऐतिहासिक मंदिर

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अनिरुद्ध जोशी

पाकिस्तान में हजारों ऐतिहासिक मंदिर थे। कभी पाकिस्तान की भूमि आर्यों की प्राचीन भूमि हुआ करती थी। सिंधु नदी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान में ही बहता है। सिंधु, सरस्वती और गंगा नदी के किनारे ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता का उत्थान और विकास हुआ। कहते हैं कि सिंधु के बगैर अधूरी है हिन्दू संस्कृति। पाकिस्तान में ही हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो के प्राचीन नगर के अवशेष मिले हैं। दुनिया का प्रथम विश्‍वविद्यालय पाकिस्तान में ही है। बंटवारे के बाद पाकिस्तान में सैंकड़ों मंदिर ध्वस्त किए गए। हम नहीं जानते हैं कि कितने मंदिरों का अस्तित्व मिटा दिया गया और उनकी प्राचीनता और महत्व क्या था। आज जो मंदिर बचे हैं वे भी उपेक्षा का शिकार हैं।
 
1. हिंगलाज का शक्तिपीठ
सिन्ध की राजधानी कराची जिले के बाड़ीकलां में माता का मंदिर सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। ये पहाड़ियां पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जाए गए बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के समीप हिंगलाज क्षेत्र में स्थित हैं। यहां का मंदिर प्रधान 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिंगलाज ही वह जगह है, जहां माता का सिर गिरा था। यहां माता सती कोटटरी रूप में जबकि भगवान शंकर भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं।
 
2. कटासराज का शिव मंदिर :
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जिला चकवाल शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण में कोहिस्तान नमक पर्वत श्रृंखला में महाभारतकालीन कटासराज नाम का एक गांव है। इस मंदिर परिसर में राम, हनुमान और शिव मंदिर खासतौर से देखे जा सकते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब शिवजी की पत्नी सती का निधन हुआ तो वे इतना रोए कि उनके आंसू रुके ही नहीं और उन्हीं आंसुओं के कारण 2 तालाब बन गए। इनमें से एक राजस्थान में पुष्कर है और दूसरा यहां कटाशा में है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव ने सती से शादी के बाद कई साल कटासराज में ही गुजारे थे। यह मंदिर करीब 900 साल पुराना है।
 
3. नृसिंह मंदिर :
भक्त प्रह्लाद ने भगवान नृसिंह के सम्मान में एक मंदिर बनवाया था, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित पंजाब के मुल्तान शहर में है। इसे प्राचीनकाल में श्रीहरि के 'भक्त प्रह्लाद का मंदिर' के रूप में जाना जाता था। इस मंदिर का नाम प्रह्लादपुरी मंदिर है। मुल्तान के विश्वप्रसिद्ध किले के अंदर बना यह मंदिर किसी जमाने में मुल्तान शहर की पहचान हुआ करता था। होली के समय यहां विशेष पूजा-अर्चना आयोजित की जाती है। वैसे इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहीं नरसिंह भगवान ने एक खंभे से निकलकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को मारा था। यह भी माना जाता है कि होली का त्योहार और होलिकादहन की प्रथा भी यहीं से आरंभ हुई थी।
 
4. पंचमुखी हनुमान मंदिर :
कराची के इस 1500 साल पुराने पंचमुखी हनुमान मंदिर में आज भी काफी लोग जाते हैं। नागरपारकर के इस्लामकोट में पाकिस्तान का यह इकलौता ऐतिहासिक राम मंदिर है। एक और पंचमुखी हनुमान मंदिर कराची के शॉल्जर बाजार में बना है। इस मंदिर को जीर्णोद्धार की सख्त जरूरत है। यहां के पंचमुखी हनुमान की मूर्ति अद्भुत है।

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5. गोरखनाथ मंदिर :
पाकिस्तान के पेशावर में गोरखनाथ मंदिर है। यह मंदिर 160 साल पुराना है। यह मंदिर बंटवारे के बाद से ही बंद पड़ा था, लेकिन पेशावार हाईकोर्ट के आदेश पर नवंबर 2011 में इसे दोबारा खोला गया।
 
6. गौरी मंदिर :
गौरी मंदिर सिन्ध प्रांत के थारपारकर जिले में है। पाकिस्तान के इस जिले में अधिकतर आदिवासी हैं जिन्हें थारी हिन्दू कहा जाता है। मध्यकाल में बने इस मंदिर में हिन्दू और जैन धर्म के अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव के कारण यह मंदिर भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है।
 
6. मरी इंडस मंदिर :
पंजाब के कालाबाग में स्थित यह मंदिर मरी नामक जगह पर है, जो कभी गांधार प्रदेश का हिस्सा थी। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी पुस्तक में मरी का उल्लेख किया है। 5वीं सदी में बना यह मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से अद्भुत है, लेकिन उपेक्षा के कारण खंडहर हो चुका है।
 
7. श्री वरुणदेव मंदिर :
1,000 साल पुराने इस अद्भुत मंदिर को 1947 में बंटवारे के बाद भू-माफियाओं ने अपने कब्जे में ले लिया था। 2007 में पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल ने इस बंद पड़े और क्षतिग्रस्त मंदिर को फिर से तैयार करने का फैसला किया। जून 2007 में इसका नियंत्रण पीएचसी को मिल गया, लेकिन इस मंदिर की देखरेख नहीं है।
 
8. स्वामीनारायण मंदिर :
स्वामीनारायण मंदिर सिंध प्रांत के कराची के एमए जिन्ना रोड पर स्थित है। अप्रैल 2004 में मंदिर ने अपनी 150वीं सालगिरह मनाई। मंदिर में बनी धर्मशाला में लोगों के ठहरने की भी व्यवस्था है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां हिन्दुओं के साथ-साथ मुस्लिम भी पहुंचते हैं। 
 
9. साधु बेला मंदिर, सुक्कुर : 
8वें गद्दीनशीं बाबा बनखंडी महाराज की मृत्यु के बाद संत हरनामदास ने इस मंदिर का निर्माण 1889 में कराया। सिन्ध प्रांत के सुक्कुर में बाबा बनखंडी महाराज 1823 में आए थे। उन्होंने मेनाक परभात को एक मंदिर के लिए चुना। यहां होने वाला भंडारा पूरे पाकिस्तान में मशहूर है।
 
10. राम मंदिर, सैदपुर :
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के आसपास और पंजाब के रावलपिंडी शहर में कई ऐतिहासिक मंदिर और गुरुद्वारे मौजूद हैं। इस्लामाबाद में पुराने समय के 3 मंदिर हुआ करते थे। एक सैयदपुर, दूसरा रावल धाम और तीसरा गोलरा के मशहूर दारगढ़ के पास है। सैयदपुर गांव में स्थित राम मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये राजा मानसिंह के समय में 1580 में बनवाया गया था।

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