These 5 things help in old age: बुढ़ापा कई लोगों का अच्छा रहता है और कई लोगों का बड़ा बुरा होता है। बुढ़ापे में आप किसी पर निर्भर न रहें या आप किसी का सहारा न बने इसके लिए आपको पहले से ही तैयारी कर लेना चाहिए। हालांकि इसके अलावा भी बुढ़ापे का सहारा कई चीजें होती हैं। इन्हीं चीजों में 5 तरह की चीजों का आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए।
1. खुद का साथ : बुढ़ापे में व्यक्ति असहाय और उपेक्षित महसूस करता है उसका कारण उसका रोग और अहंकार होता है। उसे लगता है कि अब लोग मेरी नहीं सुनते और मेरी नहीं मानते हैं। यह तकलीफ उसके जीवन को नर्क बना देती है। इसलिए जरूरी है कि खुद के भीतर झांकना सीखें और खुद में ही मस्त रहना सीखें। खुद का ही साथ दें। मोबाइल, लैपटॉप, टीवी या व्यर्थ की बहस से दूर हो जाएं। अच्छे विचारों और प्रकृति के साथ रहें।
2. सेहत सबसे बड़ा सहारा : आपकी सेहत बुढ़ापे में आपकी सबसे बड़ी दौलत होती है। भोजन में नियम नहीं जानना और कसरत नहीं करना आपके लिए घातक सिद्ध होने वाला है। हो सकता है कि वक्त के पहले ही आपकी तोंद निकल गई हो और बाल पक गए हों। वक्त के पहले ही आप थकने लगे हों और चेहरे की चमक चली गई हो। लेकिन आपको इन सबसे क्या फर्क पड़ता है। क्योंकि आप एक गैर जिम्मेदार व्यक्ति हैं। सिर्फ रुपयों से ही घर चलाना चाहते हैं। लेकिन रुपया सारा अस्पताल में ही चला जाएगा तब सेहत क्या होती है यह पता चलेगा। इसी के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य भी बहुत जरूरी है।
3. धन का सहारा : अपनी सैलरी, संपत्ति या धन को संकटकाल के लिए बचाकर रखना और उसका अच्छे से संचालन करके उसको बढ़ाते रहना बहुत जरूरी है। आर्थिक इंडेक्स को नियमित चेक करना और अच्छे वित्तीय नियोजन का पालन करना बुढ़ापे में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद कर सकता है। धन की बचत सबसे जरूरी है। जिसे आपको समय रहते संचय कर के रखना चाहिए। फालतू खर्च न करें और दिखावे के लिए बिल्कुल भी खर्च न करें।
4. जीवनसाथी का सहारा : जीवनसाथी के साथ आपके संबंध प्रेमपूर्ण होना चाहिए। उसका ध्यान रखना और उसका सम्मान करना जरूरी है। हर मौके पर उसका पक्ष लेना जरूरी है। इसलिए उसका निरादर किसी भी रूप में ना करे, किसी के भी सामने ना करें क्योंकि अंत में वही आपके काम आने वाला या वाली है।
5. संतान के संस्कार : आपकी संतान आपका सहारा नहीं होती बल्कि उसके परवरिश और उसके संस्कार आपका सहारा बनती है। यदि संतान को कोई संस्कार नहीं दिए हैं तो उससे सहयोग की अपेक्षा न करें। परवरिश ही वो बीज है जो आगे चल कर वृक्ष बनेगा और आपको छाया या फल देगा।