- गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
हम सभी इस वसुंधरा पर कुछ आश्चर्यजनक और अतुलनीय करने के लिए आए हैं। यह सुनिश्चित करना आपका काम है कि आप इस अवसर को हाथ से न जाने दें। नए साल में कुछ न कुछ सृजनात्मक अवश्य करें। कुछ सृजन किए बिना कोई वर्ष नहीं बीतना चाहिए। जब तक आपके मन में कोई स्वप्न नहीं जन्मता, आप उसे साकार नहीं कर सकते। हर आविष्कार एक स्वप्न से उपजा है। स्वयं को विराट स्वप्न देखने और चिंतन करने की स्वतंत्रता दें और पूरे समर्पण के साथ उन्हें पूर्ण करने का साहस रखें। अक्सर विराट स्वप्नदर्शियों का उपहास उड़ाया जाता रहा है, किंतु उन्होंने इसकी परवाह किए बिना अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
आपकी जीवन-ऊर्जा को प्रवाहित होने के लिए निश्चित दिशा की आवश्यकता होती है। यदि आप इसे सही दिशा नहीं देते, तो आप किसी न किसी भ्रम का शिकार हो सकते हैं। जीवन-ऊर्जा को एक दिशा में ले जाने के लिए प्रतिबद्धता आवश्यक है। आज अधिकांश लोग भ्रमित हैं क्योंकि उनका जीवन दिशाहीन हैं। जब आप प्रसन्न होते हैं, तो आपके भीतर अत्यधिक जीवन-ऊर्जा होती है; लेकिन जब यह जीवन-ऊर्जा इस बात से अनभिज्ञ होती है कि उसका लक्ष्य कहाँ है, तो यह अटक जाती है। जब इसे आगे बढ़ने का मार्ग नहीं मिलता तो यह इसमें सड़न पैदा हो जाती है।
रहस्य यह है कि आप जितने अधिक प्रतिबद्ध होंगे, उस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए उतनी ही अधिक ऊर्जा का उपयोग होगा। प्रतिबद्धता जितनी अधिक होगी, चीजें आपके लिए उतनी ही आसान होंगी। छोटी-छोटी प्रतिबद्धताएं आपके लिए दम घोंटने वाली हो सकती हैं क्योंकि आपके पास क्षमता तो अधिक है, लेकिन आप एक सीमित दायरे में फंसे हुए हैं।
जब आप समाज की, अपने आस-पास के लोगों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं, भले ही आपके पास करने के लिए दस काम हों और अगर एक काम गलत भी हो जाता है, तो आप शेष काम करना जारी रख सकते हैं; जो कार्य ग़लत हो गया है वह अपने आप ठीक हो जाएगा! साधारणतया कृपा इसी तरह काम करती है। हम सोचते हैं कि हमारे पास पर्याप्त संसाधन होने चाहिए और फिर हम प्रतिबद्ध होंगे। आप जितनी अधिक ज़िम्मेदारी लेंगे, संसाधन उतनी ही आसानी से आपके पास आएंगे। आप जिस चीज के लिए भी प्रतिबद्ध हैं, वह आपको शक्ति प्रदान करती है। यदि आप अपने परिवार के प्रति प्रतिबद्ध हैं, तो आपका परिवार आपका सहयोग करता है; यदि आप समाज के प्रति प्रतिबद्ध हैं, तो आप समाज के सहयोग का आनंद लेते हैं। आपके माँगने से पहले ही आपको सहायता मिल जाएगी।
प्रतिबद्धता का परिणाम लाने के लिए हमें सही विचारों और सही कार्यों की आवश्यकता है। उन सभी इच्छित वस्तुओं की सूची न बनाएं जिन्हें आप हासिल करना चाहते हैं; बल्कि एक विशाल दृष्टिकोण रखें और कुछ ऐसी वस्तुएँ चुनें जो वास्तव में मायने रखती हैं। यदि हम ऐसी बातों का ध्यान रखते हैं जो हमें अधिकतम संतुष्टि प्रदान करती हैं, और दीर्घ काल तक वे दूसरों के जीवन को ऊपर उठाने में भी सहायक है, तो सामान्य वस्तुएँ अपने आप सही स्थान पर आ जाएंगी।
जब मन पूर्ण रूप से वर्तमान में होता है, तो आपके पास संगत विचार आते हैं। आपको न केवल अपने लक्ष्यों की योजना बनानी चाहिए, बल्कि उन पर काम करने के साधनों और तरीकों की भी योजना बनानी चाहिए। तीन साल बाद आप खुद को कहां देखना चाहेंगे? 20 साल बाद? 40 साल बाद? परिणामों को लेकर उत्तेजित न हों। अपना 100 प्रतिशत दें।
आमतौर पर, हम मस्तिष्क को तो तेज दौड़ाते हैं लेकिन काम धीरे करते हैं। सफलता का सही सूत्र है मन में धैर्य और कर्म में गतिशीलता। उत्साह और वैराग्य दोनों को अपनाएं। अपने लक्ष्यों के लिए प्रयास करने के साहस के साथ आगे बढ़ें और आवश्यकता पड़ने पर हार भी मानें। समृद्धि स्वाभाविक रूप से आएगी।
जब आप ध्यान करते हैं तो निरीक्षण की क्षमता बढ़ती है। आप पूरी तरह से निश्चिंत हो जाते हैं, लेकिन साथ ही, आपके पास बौद्धिक शक्ति, जागरूकता और अंतर्ज्ञान की तीव्रता भी होती है। जब आप जागरूक होकर कार्य करते हैं, तो कार्य ठीक होता है। अटूट मनोयोग और सहज मन आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा। तनाव मुक्त ऊर्जा से भरे जीवन का मार्ग ध्यान है, जिसमें अपने लक्ष्य के प्रति दृष्टि स्पष्ट होती है। प्रतिबद्धता भविष्य में सदा सुखद अनुभूति लाएगी। निवास के लिए इस दुनिया को एक सुंदर स्थान बनाने की जिम्मेदारी उठाएं।
असंभव को सच करने का प्रण लें!