कार्तिक मास में करते हैं यह 10 प्रमुख कार्य, मिट जाता है रोग और शोक

अनिरुद्ध जोशी
शरद पूर्णिमा के बाद से कार्तिक का महीना लग जाएगा। सभी माह में कार्तिक माह को सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है। यह माह पाप का नाश करते व्यक्ति के सभी संकट दूर कर देता है और धन, सुख, समृद्धि, शांति एवं निरोग प्रदान करता है। आओ जानते हैं कि इस माह में कौन से प्रमुख 10 कार्य करना चाहिए।
 
 
रोगापहं पातकनाशकृत्परं सद्बुद्धिदं पुत्रधनादिसाधकम्।
मुक्तेर्निदांन नहि कार्तिकव्रताद् विष्णुप्रियादन्यदिहास्ति भूतले।।-(स्कंदपुराण. वै. का. मा. 5/34)...
अर्थात- कार्तिक मास आरोग्य प्रदान करने वाला, रोगविनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम है।
 
1.नदी स्नान : कार्तिक के पूरे माह में पवित्र नदी में स्नान करने का प्रचलन और महत्व रहा है। इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। मदनपारिजात के अनुसार कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान नित्य करना चाहिए।
 
 
2. व्रत :इस दिन व्रत का भी बहुत ही महत्व है। इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
 
3.दीनदान : इस माह में दीपदान का बहुत ही महत्व है। नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं और जातक कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है।
 
 
4. भूमि पर शयन : इस माह में भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव निर्मित होकर सभी तरह के रोग और विकारों का समाधान होता है।
 
5. तुलसी पूजा : इस माह में तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है। इस कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
 
6. दलहन खाना मना है: कार्तिक महीने में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि नहीं खाना चाहिए। लहसुन, प्याज और मांसाहर का सेवन न करें।
 
 
7. तेल लगाना मना है : इस माह में नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को छोड़कर अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित माना गया है।
 
8. इंद्रिय संयम : कार्तिक मास में इंद्रिय संयम में खासकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इंद्रिय संयम में अन्य बातें जैसे कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें, खाने के प्रति आसक्ति ना रखें, ना अधिक सोएं और ना जागें आदि।
 
 
9. दान : इस माह में दान का भी बहुत ही ज्यदा महत्व होता है। अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें। 
 
10. पूजा : इस माह में तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ एवं हवन का भी बहुत ही महत्व है। इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए।
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

अगला लेख
More