Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

वेदों के साथ-साथ देवों और महापुरुषों ने भी किया है गौमाता का बखान, जानिए किसने क्या कहा

हमें फॉलो करें वेदों के साथ-साथ देवों और महापुरुषों ने भी किया है गौमाता का बखान, जानिए किसने क्या कहा
हिन्दू धर्म में गाय पूजनीय है और इसमें तैंतीस करोड़ देवी देवताओं का वास होता है। हिन्दू धर्मग्रन्थों और वेदों में तो गाय को स्थान दिया ही गया है, देवों और महापुरुषों ने भी गाय का उत्तम बखान किया है। आइए जानते हैं किसने क्या कहा है गाय के बारे में - 
 
* स्कंद पुराण के अनुसार ‘गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्वगौमय हैं।'
* भगवान कृष्ण ने श्रीमद् भगवद्भीता में कहा है- ‘धेनुनामस्मि कामधेनु’ अर्थात मैं गायों में कामधेनु हूं।
* ईसा मसीह ने कहा था- एक गाय को मारना एक मनुष्य को मारने के समान है।
 
* श्रीराम ने वन गमन से पूर्व किसी त्रिजट नामक ब्राह्मण को गाय दान की थी।
* गुरु गोविंदसिंहजी ने कहा, ‘यही देहु आज्ञा तुरुक को खापाऊं, गौ माता का दुःख सदा मैं मिटाऊं।'
 
* बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि ‘चाहे मुझे मार डालो, पर गाय पर हाथ न उठाओ’। 
* प्रसिद्ध मुस्लिम संत रसखान की इच्छा थी कि यदि पशु के रूप में मेरा जन्म हो तो मैं बाबा नंद की गायों के बीच में जन्म लूं।
* पं. मदनमोहन मालवीय की अंतिम इच्छा थी कि भारतीय संविधान में सबसे पहली धारा सम्पूर्ण गौवंश हत्या निषेध की बने।
* पंडित मदनमोहन मालवीय का कथन था कि यदि हम गायों की रक्षा करेंगे तो गाएं हमारी रक्षा करेंगी।
* महर्षि अरविंद ने कहा था कि गौ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है। इसका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है।
* मुस्लिम कवि रसखान ने कहा- 'जो पशु हों तो कहा बसु मेरो, चरों नित नंद की धेनु मंझारन।'
 
* महात्मा नामदेव ने दिल्ली के बादशाह के आह्नवान पर मृत गाय को जीवनदान दिया। 
* भगवान बुद्ध को गाय के पास उस क्षेत्र के सरदार की बेटी सुजाता द्वारा गायों के दूध की खीर खानें पर तुरन्त ज्ञान और मुक्ति का मार्ग मिला। बुद्ध गायों को मनुष्य की परम मित्र कहते हैं। 
* जैन आगमों में कामधेनु को स्वर्ग की गाय कहा गया है और प्राणिमात्र को अवध्या माना है। भगवान महावीर के अनुसार गौ रक्षा बिना मानव रक्षा संभव नहीं। 
* स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं।
* गांधीजी ने कहा है कि गोवंश की रक्षा ईश्वर की सारी मूक सृष्टि की रक्षा करना है, भारत की सुख- समृद्धि गाय के साथ जुड़ी हुई है। गाय प्रसन्नता और उन्नति की जननी है, गाय कई प्रकार से अपनी जननी से भी श्रेष्ठ है।
 
इस प्रकार से देवों, वेदों, महापुरुषों एवं आम जनों में गाय का महत्व अत्यधिक है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गंगा आज भी इतनी पवित्र क्यों मानी जाती है?