उत्तरी भारत में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है। देव धन्वंतरि के अलावा इस दिन देवी लक्ष्मीजी और धन के देवता कुबेर और यमराज के पूजन की परंपरा है।
1. इसी दिन यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है।
2. धन त्रयोदशी के दिन यमदेव की पूजा करने के बाद घर से बाहर कूड़ा रखने वाले स्थान पर दक्षिण दिशा की ओर दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए। इस दीपक में सिक्का व कौड़ी भी डाली जाती है।
3. धनतेरस पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है, जब स्थिर लग्न होता है। स्थिर लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाए तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से धन, स्वास्थ्य और आयु बढ़ती है।
4. धन त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था और इसीलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में पूजा जाता है।
5. दीपावली के 2 दिन पहले आने वाले इस त्योहार को लोग काफी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन गहनों और बर्तन की खरीदारी जरूर की जाती है। धन्वंतरि चिकित्सा के देवता भी हैं इसलिए उनसे अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना की जाती है।
6. शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता है। धन और वैभव देने वाली इस त्रयोदशी का विशेष महत्व माना गया है।
7. समुद्र मंथन के समय बहुत ही दुर्लभ और कीमती वस्तुओं के अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि और कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवती लक्ष्मीजी का समुद्र से अवतरण हुआ था। यही कारण है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन और उसके 2 दिन पहले त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि का जन्मदिवस धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।
8. भगवान धन्वंतरि को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है। इनकी 4 भुजाएं हैं जिनमें से 2 भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। दूसरी 2 भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है, क्योंकि पीतल भगवान धन्वंतरि की प्रिय धातु है।
9. धनतेरस के दिन लोग घरेलू बर्तन खरीदते हैं, वैसे इस दिन चांदी खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि चांदी चंद्रमा का प्रतीक मानी जाती है। चंद्रमा शीतलता का मानक है इसलिए चांदी खरीदने से मन में संतोषरूपी धन का वास होता है, क्योंकि जिसके पास संतोष है, वो ही सही मायने में स्वस्थ, सुखी और धनवान है।
10. इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है। लेकिन अगर भगवान की प्रिय वस्तु पीतल की खरीदारी की जाए तो इसका 13 गुना अधिक लाभ मिलता है।
11. पीतल का निर्माण तांबा और जस्ता धातुओं के मिश्रण से किया जाता है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक कर्म हेतु पीतल के बर्तन का ही उपयोग किया जाता है। ऐसा ही एक किस्सा महाभारत में वर्णित है कि सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदानस्वरूप दिया था जिसकी विशेषता थी कि द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दे, खाना घटता नहीं था।
12. धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है लेकिन बर्तन की खरीदारी के वक्त कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना जरूरी है। घर पर खाली बर्तन कभी ना लाएं। इसे घर लाने पर पानी से भर दें। पानी को भाग्य से जोड़कर देखा जाता है। इससे आपके घर में समृद्धि और संपन्नता का वास रहेगा।
13.धनतेरस के दिन स्टील के बर्तन नहीं खरीदने की सलाह दी जाती है। स्टील व लोहे के अलावा कांच के बर्तन भी खरीदने से बचना चाहिए। धनतेरस के दिन समृद्धि के प्रतीक के तौर पर ये चीजें खरीदना शुभ माना जाता है- सोना, चांदी, धातु की बनीं लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, नए बर्तन।