Chanakya Niti: चाणक्य के अनुसार सच्चा या सही मित्र जीवन की अनमोल धरोहर है। जिसका कोई मित्र नहीं उसका कोई जीवन भी नहीं। जीवन में मित्र की जरूरत सभी को होती है, लेकिन आप कैसे पहचान करेंगे कि आपका सही मित्र या दोस्त कौन है? कहीं मित्र के रूप में आप अपने शत्रु के साथ तो नहीं रह रहे हैं? यदि ऐसा है तो आपका जीवन बर्बाद हो सकता है।
1. जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके कार्य को बिगाड़ देता हो, उसे त्याग देने में ही भलाई है। चाणक्य कहते हैं कि ऐसा मित्र उस बर्तन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा है परंतु अंदर विष भरा हुआ होता है।
2. वही गृहस्थी सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है। पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करें। इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो।
3. आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसण्कटे।
राजद्वारे श्मशाने च यात्तिष्ठति स बान्धवः॥- चाणक्य नीति
अर्थात : सच्चा मित्र वहीं है जो बीमारी में, असमय शत्रु से घिर जाने पर, राजकार्य में सहायक रूप में और मृत्यु पर श्मशान भूमि में ले जाने मदद करता है।
यानी यदि आपके घर परिवार में यदि कोई बीमार हो जाए और तब कोई व्यक्ति आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहे तो समझो कि वह आपका सच्चा मित्र है। दूसररा यह कि यदि आप किसी मुसीबत में घिर जाओ या शत्रु आपको घेर ले तब ऐसे संकट के समय कोई दोस्त आपकी मदद करे तो समझो की वही सच्चा मित्र है। तीसरा यह कि किसी भी प्रकार के यदि आपका मित्र आपको किसी महत्वपूर्ण कार्य या राजकार्य में साथ देता है तो व भी आपका सच्चा मित्र है।
4. वहीं आपका सच्चा मित्र है जो आपके जीवन के रहस्य या निजी बातों को किसी अन्य के समक्ष प्रकट न करता हो। खासकर ऐसी बातें जिससे आपकी बदनामी हो या आप मुसीबत से घिर जाएं। यदि आपकी कोई खास बात वह सार्वजनिक कर दे तो वह आपका मित्र नहीं है।