सोमवार की महाशिवरात्रि श्रेष्ठ फलदायी
1995 में आई थी सोमवार को महाशिवरात्रि
इस बार महाशिवरात्रि सोमवार को होने से भक्तों में अपार उत्साह है। उल्लेखनीय बात यह है कि शिव पूजन-आराधना में अत्यधिक महत्व वाली फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चौदस इस बार सोमवार (चन्द्रवार/23 फरवरी) को 14 साल बाद आ रही है।
सोमवार को वैसे भी महादेव के पूजन का महत्व रहता है, उस पर भी यदि उसी दिन महाशिवरात्रि हो तो श्रेष्ठ फलदायी कहा गया है। इसके पूर्व यह योग 1995 में आया था।
हिंदू धर्म ग्रंथानुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चौदस को आधी रात में आदिदेव शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। कुछ विद्वान इसे शिव-पार्वती विवाह तिथि भी मानते हैं तो कुछ शिवजी द्वारा हलाहल (विषपान) की रात्रि मानते हैं। अध्यात्म में यह जीव व शिव के मिलन की रात्रि कहलाती है।
महाशिवरात्रि को जागरण, चार प्रहर-पूजा अभिषेक व उपवास का विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि के महोदव मंदिरों में सुबह ब्रह्म मुहूर्त से रात्रि के अंतिम प्रहर तक अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें रुद्राभिषेक, भस्म आरती, जलाभिषेक तथा भाँग-मावे व सूखे मेवों से भगवान शिव को श्रृंगारित किया जाता है।