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सुरक्षा बलों को मिली बड़ी कामयाबी, अल कायदा आतंकवादी जाकिर मूसा ढेर

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, शुक्रवार, 24 मई 2019 (21:21 IST)
श्रीनगर। दक्षिण कश्मीर के त्राल इलाके के एक गांव में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में अल कायदा से जुड़े समूह अंसार गजावत-उल-हिन्द का स्वयंभू सरगना जाकिर राशिद भट उर्फ जाकिर मूसा मारा गया। अधिकारियों ने शुक्रवार को सुरक्षा बलों को मिली इस बड़ी सफलता की पुष्टि की।
 
मूसा पाकिस्तान की निंदा के बाद कश्मीर घाटी में सुर्खियों में आया था और उसने प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन से रिश्ते तोड़कर अल कायदा के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की थी। कैरम खिलाड़ी मूसा ने किशोरावस्था में जम्मू-कश्मीर का विभिन्न स्तरों पर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व किया था।
 
पुलिस महानिरीक्षक स्वयंप्रकाश पाणि ने कहा कि बेहद सतर्कता बरतते हुए इस पूरे अभियान को अंजाम दिया गया ताकि अपनी तरफ किसी भी नुकसान को कम किया जा सके। पाणि ने बताया कि वह सबसे उम्रदराज आतंकवादी था और आतंकवाद से जुड़े कई अपराधों में वांछित था।
 
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक मूसा का 2013 से ही अपराध का लंबा इतिहास है। वह शुरू में प्रतिबंधित संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन से जुड़ा था लेकिन बाद में उसने नया संगठन अंसार गजावत-उल-हिन्द बना लिया।
 
गुरुवार की शाम पुलिस ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (केरिपुब) और सेना के जवानों के साथ मिलकर पुलवामा जिले के त्राल इलाके के ददसारा गांव की घेराबंदी की थी। इस दौरान मूसा वहां फंस गया। उससे आत्मसमर्पण करने को कहा गया लेकिन सुरक्षा बलों को आता देख उसने गोलीबारी शुरू कर दी। अधिकारियों ने कहा कि इस दौरान हुई मुठभेड़ में शुक्रवार तड़के मूसा मारा गया और अल सुबह उसका शव बरामद किया गया।
 
प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब के मोहाली में विशेष राष्ट्रीय जांच अधिकरण (एनआईए) अदालत ने जालंधर में पिछले साल सितंबर में हुए श्रृंखलाबद्ध धमाकों के सिलसिले में इस महीने के शुरू में मूसा को भगोड़ा घोषित किया था। पुलवामा जिले के अवंतिपोरा में मूसा के पैतृक गांव नूरपुरा में हजारों की संख्या में लोग मूसा के जनाजे में शामिल हुए और लोगों की भारी भीड़ को देखते हुए 7 दौर में नमाज-ए-जनाजा कराना पड़ा।
 
मूसा अप्रैल 2013 से आतंकी वारदातों में सक्रिय था। मूसा ने जब बुरहान वानी से मिलकर हथियार उठाया था तब वह इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष का छात्र था। बुरहान वानी को सुरक्षा बलों ने 2016 में एक मुठभेड़ में मार गिराया था। दक्षिण कश्मीर के स्थानीय लोगों के बीच मूसा की लोकप्रियता बीते 3 साल के दौरान बढ़ी और उसे वानी की मौत के बाद उसके स्वाभाविक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा।
 
उसने हालांकि 2016 में हुर्रियत नेताओं को एक वीडियो में धमकी देकर आतंकी समूहों और अलगाववादियों को चौंका दिया था। उसने धमकी दी थी कि अलगाववादी नेता कश्मीर के पाकिस्तान में विलय को समर्थन देना बंद करें।
 
उसने कश्मीर के आंदोलन को धर्मनिरपेक्ष राज्य के लिए चलाया जा रहा आंदोलन बताने के लिए अलगाववादी नेताओं को चेतावनी दी। मूसा ने कहा था कि हम आजादी बराए इस्लाम के लिए लड़ रहे हैं, मैं इस्लाम के लिए आजादी की लड़ाई लड़ रहा हूं। मेरा खून इस्लाम के लिए बहेगा, धर्मनिरपेक्ष राज्य के लिए नहीं।
 
शोपियां, पुलवामा, अवंतिपोरा और श्रीनगर के कुछ इलाकों में गुरुवार रात एकसाथ प्रदर्शन हो गए और लोग मूसा के समर्थन में नारे लगाने लगे। प्रशासन ने इसके बाद घाटी के कुछ इलाकों में ऐहतियातन कर्फ्यू लगा दिया। पुलवामा, श्रीनगर, अनंतनाग और बडगाम जिलों में पाबंदी लगाई गईं। शिक्षण संस्थाओं को 1 दिन के लिए बंद रखने का आदेश दिया गया जबकि समूचे कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं। (भाषा)

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