जेलों में कला, रचनात्मकता और परिवर्तन का संगम है- तिनका तिनका मध्य प्रदेश। इस किताब का विमोचन गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने किया। जेल सुधारक वर्तिका नन्दा की लिखित यह पुस्तक 19 लोगों के जरिए जेल की कहानी कहती है-मध्य प्रदेश की जेलों में बंद बारह पुरुषों, दो महिलाएं, चार बच्चे (अपनी मां के साथ जेल में बंद) और एक प्रहरी के जरिए जेल के हर पक्ष को इसमें सुंदर तस्वीरों और रंगों के साथ कहा गया है।
सभी 4 बच्चे 6 साल से कम उम्र के हैं और उनमें से 3 का जन्म जेल में ही हुआ है। इसे पारंपरिक कॉफी टेबल बुक के लघु संस्करण के रूप में डिज़ाइन किया गया है। 160 पृष्ठों की इस किताब का मूल्य 995 रूपए है।
यह जेलों के सबसे सकारात्मक और रचनात्मक पक्ष को लाने का असाधारण और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रयास है।
यह पुस्तक वर्तिका नन्दा की मध्य प्रदेश की विभिन्न जेल यात्राओं पर आधारित है। इसको करीब 2 साल की अवधि में रचा गया है। 9 अध्यायों में बंटी इस किताब में रंगों का अद्भुत बाइस्कोप है। यह किताब जेल के हर कोने को बंदियों की ही बनाई तस्वीरों से दिखाती है। इसका एक अध्याय- बच्चे, जिनका पता है जेल- जेलों में अपना मां या पिता के साथ आए बच्चों को समर्पित है। मुट्ठी में काश, सामने बड़ा आकाश- उन बंदियों पर है जिन्हें अपने अपराध पर पश्चाताप है और वे अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करना चाहते हैं।
यह किताब जेल सुधार और मानवाधिकार की नजर से एक ऐसा अनूठा प्रयोग है जिसकी पहले किसी ने कल्पना नहीं की। किताब का विमोचन करते हुए किरेन रिजीजू ने जेलों पर इस तरह के काम से बंदियों में सुधार की गुंजाइश बढ़ेगी।
तिनका तिनका फाउंडेशन जेलों, न्याय पालिका और समाज के बीच एक पुल है। यह दुनिया का पहला ऐसा प्रकाशक है जो जेलों के साहित्य को प्रकाशित करने के लिए पूरी तरह से समर्पित है। इस कड़ी में पहली किताब तिनका तिनका तिहाड़ थी। इस किताब को वर्तिका नन्दा और विमला मेहरा, आईपीएस, पूर्व महानिदेशक, दिल्ली जेल ने लिखा था। अपने अनूठेपन के चलते 2015 में लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल किया।
इस कड़ी में दूसरी किताब तिनका तिनका डासना थी जो देश की किसी जेल की अपनी तरह की पहली जीवंत रिपोर्टिंग है। तिनका तिनका डासना का अंग्रेजी में अनुवाद नूपुर तलवार ने किया था। यह पहला मौका था जब किसी बंदी के साथ इतना अनूठा प्रयोग हुआ।
तिनका तिनका मध्य प्रदेश, उन बच्चों को समर्पित है जो अपनी मां या पिता के साथ जेल में रहते हैं। भारत में 1800 बच्चे हैं जो जेलों में हैं। उन्हें 6 साल की उम्र तक जेलों में रहने की इजाजत है।
वर्तिका नन्दा के बारे में : जेलों पर तिनका तिनका श्रृंखला की संस्थापक वर्तिका नन्दा भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से स्त्रीशक्ति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। यह भारत की महिलाओं को दिया जाने वाला देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। जेलों पर वे 3 गाने भी लिख चुकी हैं। उनका नाम दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में शामिल हुआ।