देहरादून। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष संगठन मथुरा दत्त जोशी ने कहा है कि प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवा व प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि विधानसभा में बैक डोर भर्तियों की जांच के लिए गठित 2041 पन्नों की रिपोर्ट की हकीकत आखिरकार है क्या? इसलिए कोटिया समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने रिपोर्ट के चंद अंश पढ़कर जो फैसला लिया इसमें शासन को भी कठघरे में खड़ा किया है। ऐसे में प्रदेश के युवा बेरोजगार व लोगों से ये जानना चाहते हैं कि उनके साथ किस-किस ने विश्वासघात किया है।
मीडिया को जारी एक बयान में कांग्रेस उपाध्यक्ष जोशी ने कहा कि विधानसभा में 2000 से 2015 के बीच जिस प्रक्रिया से कर्मचारियों की भर्ती हुई उसी तरह 2016 में भी हुई। ऐसे में 2016 की भर्तियों यदि नियम विरुद्ध हैं तो 2015 पूर्व हुई भर्तियों को जायज कैसे कहा जा सकता है। उनको भी वित्त व कार्मिक की अनुमति है और 6 साल से ये कर्मचारी ट्रेजरी से वेतन ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से आज लिए गए फैसले आधे-अधूरे हैं। लगता है कि इसमें बड़े चेहरों को बचाया जा रहा है। जोशी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को कोटिया समिति की रिपोर्ट को विधानसभा की वेबसाइट पर डाल देना चाहिए इससे स्पीकर की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि विधानसभा के अलावा भाजपा के कार्यकाल में कई विभागों में अवैध नियुक्ति हुई हैं, कांग्रेस सीबीआई जांच की मांग कर रही है, किंतु सरकार के मंत्रियों को बचाने के कारण सीबीआई इंक्वायरी नहीं करा रही है।
दूसरी तरफ विधानसभा में विवादित नियुक्तियों को लेकर शुक्रवार रात्रि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए भर्तियां निरस्त करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने अनुमोदन दे दिया है। प्रस्ताव अनुमोदित होते ही ये भर्तियां विधिवत रूप से निरस्त हो गई हैं और अब शासन इसके आदेश जारी करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा में हुई भर्तियों में विवाद की बात सामने आने पर उन्होंने इसकी जांच कराने का विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया था। विधानसभा अध्यक्ष ने भी सरकार की मंशा के अनुरूप विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर समयबद्ध ढंग से जांच के निर्देश दिए।