Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ा

हमें फॉलो करें अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ा
, सोमवार, 29 जून 2020 (19:26 IST)
श्रीनगर। पाकिस्तान समर्थित हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के आजीवन अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार को अचानक 16 धड़ों के गठबंधन से खुद को पूरी तरह अलग करने का ऐलान करते हुए संगठन में जवाबदेही के अभाव और विद्रोह का आरोप लगाया।
 
कश्मीर घाटी में पाकिस्तान समर्थित अलगाववादियों में सबसे प्रमुख गिलानी (90) 2003 में इस धड़े के गठन के बाद से ही इसके अध्यक्ष थे। वह काफी समय से और विशेषकर पिछले साल जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म किए जाने के बाद से राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं हैं।
 
गिलानी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित अलगाववादी नेताओं पर कश्मीर के मुद्दे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने ये आरोप संगठन के घटकों को लिखे पत्र में लगाए। उन्होंने इस पत्र को 'हुर्रियत की मौजूदा हालत के मद्देनजर' शीर्षक दिया है।
 
वर्ष 1993 में स्थापित अविभाजित हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक सदस्य रहे गिलानी ने उदार रुख अपनाने को लेकर अन्य धड़ों के साथ मतभेद के बाद 2003 में अपना अलग धड़ा बनाया था।
 
मीडिया के लिए जारी चार पंक्ति के पत्र और एक ऑडियो संदेश में, 90 वर्षीय नेता के प्रवक्ता ने कहा, गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस फोरम से पूरी तरह से अलग होने की घोषणा की है। 
 
गिलानी ने संगठन के सभी घटकों को विस्तृत पत्र लिखते हए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस छोड़ने के अपने फैसले के पीछे के कारण बताए हैं। उन्हें इसका (संगठन का) आजीवन प्रमुख नामित किया गया था।
 
3 बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य रहे गिलानी ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों की वर्तमान गतिविधियों की विभिन्न आरोपों को लेकर गठबंधन जांच कर रहा है।
 
गिलानी ने अपने दो पन्ने के पत्र में कहा, इन प्रतिनिधियों की गतिविधियां अब वहां (पीओके) सरकार में शामिल होने के लिए विधानसभाओं और मंत्रालयों तक पहुंच बनाने को लेकर सीमित हैं। कुछ सदस्यों को बर्खास्त कर दिया गया जबकि अन्य ने अपनी खुद की बैठकों का आयोजन शुरू कर दिया। इन गतिविधियों को आपने (घटकों ने) यहां बैठक कर उनके निर्णयों को समर्थन देकर बढ़ावा दिया है।
 
उन्होंने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने और पूर्व के राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के बाद हुर्रियत सदस्यों की निष्क्रियता की ओर इशारा किया।
 
गिलानी ने आरोप लगाया, मैंने विभिन्न माध्यमों से आप तक संदेश पहुंचाया ताकि आगे के कदमों पर फैसला हो सके लेकिन मेरे सभी प्रयास (संपर्क करने के) व्यर्थ हो गए। अब जब वित्तीय एवं अन्य गड़बड़ियों को लेकर जिम्मेदारी की तलवार आपके सिर पर लटक रही है तो आपको परामर्श समिति की बैठक बुलाने का ख्याल आ रहा है।
 
उन्होंने कहा कि 2003 में घटक दलों ने उन्हें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का शासन संभालने के लिए मजबूर किया था और बाद में उन्हें आजीवन इसका चेयरमैन बना दिया।
 
गिलानी ने कहा, अनुशासनहीनता और अन्य खामियों को आपने नजरअंदाज किया और इतने वर्षों में भी आपने जिम्मेदारी तय करने की मजबूत व्यवस्था नहीं बनाई लेकिन अब आपने सारी हदें पार कर दीं हैं और नेतृत्व के खिलाफ बगावत पर उतर आएं हैं। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अफगानिस्तान में भीषण बम धमाके में 23 लोगों की मौत