जोबट विधानसभा क्षेत्र में चुनावी बाजी को अपने पक्ष में करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने नया दांव खेला। कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से नाराज चल रही जोबट की पूर्व विधायक और दिग्विजय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री रहीं सुलोचना रावत और 2013 में यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके उनके बेटे विशाल रावत को आखिरकार भाजपा अपने पाले में लाने में सफल रही। संभावना यह जताई जा रही है कि स्थानीय समीकरण के मद्देनजर सुलोचना रावत को यहां से भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में ला सकती है।
जोबट से भाजपा के टिकट को लेकर भारी कशमकश की स्थिति है। इस विधानसभा क्षेत्र से 5 बार चुनाव लड़कर दो बार विधायक रहे माधव सिंह डावर के साथ ही जोबट नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष दीपक चौहान, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मुकाम सिंह और अलीराजपुर से भाजपा विधायक रहे नागर सिंह चौहान यहां से भाजपा के टिकट के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं।
शनिवार रात सुलोचना और विशाल के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद अब मां-बेटे भी उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल हो गए। इस विधानसभा क्षेत्र में रावत परिवार का अच्छा-खासा दबदबा रहा है। सुलोचना के ससुर अजमेर सिंह ने यहां से कई चुनाव जीते और उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में सुलोचना ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी।
वे यहां से दो बार विधायक रह चुकी हैं। 2013 में कांग्रेस ने यहां से सुलोचना के बेटे विशाल को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह माधव सिंह डावर से हार गए थे। 2013 में जब कांग्रेस ने विशाल और सुलोचना को टिकट नहीं देते हुए कांग्रेस के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया की भतीजी कलावती भूरिया को उम्मीदवार बनाया तो विशाल ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
इस चुनाव में तमाम पूर्वानुमान को झुठलाते हुए उन्होंने 32000 वोट प्राप्त किए थे और कलावती भाजपा उम्मीदवार माधव सिंह को बमुश्किल 19 वोटों से शिकस्त दे पाई थीं। सुलोचना और विशाल के भाजपा ज्वाइन करने के बाद इस विधानसभा क्षेत्र के तमाम समीकरण गड़बड़ा गए हैं। रावत परिवार की इस क्षेत्र में पैठ का फायदा उठाने के लिए भाजपा ऐनवक्त यहां से सुलोचना को मैदान में ला सकती है।