-नेल्विन विल्सन, केरल से
रात में उसकी आंखें अचानक लाल हो गईं... चेहरा किसी शराबी की तरह एक तरफ झुका हुआ था... वह दर्द से कराह रही थी... यह कहानी है 32 वर्षीय शिक्षिका अनीशा की। दरअसल, अनीशा कोरोना संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस का शिकार हो गई थी। अनीशा की आंखों से रिसता दर्द उसके पति प्रदीप के लिए भी असहनीय था। लाख कोशिशों के बाद भी अनीशा को नहीं बचाया जा सका। अनीशा और प्रदीप दोनों ही कन्याकुमारी के एक स्कूल में कार्यरत थे।
मल्लापल्ली निवासी अनीशा के पति प्रदीप ने वेबदुनिया मलयालयम को अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि 4 मई को पत्नी एवं मेरी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। हम घर पर ही आइसोलेट थे। लेकिन छठे दिन अनीशा को सांस लेने में तकलीफ हुई और ऑक्सीजन का स्तर भी काफी नीचे आ गया था। इसके बाद कन्याकुमारी के ही नागरकोइल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हमारा इलाज किया गया एवं 12 मई को हमें छुट्टी दे दी गई।
प्रदीप ने बताया कि हम दोनों को कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं थी। उन्होंने बताया कि 12 मई की रात को ही अनीशा को बेचैनी शुरू गई। सिर और आंखों में दर्द के कारण उसने एक गोली ली और वह लेट गई। लेकिन, 13 मई की सुबह करीब 5 बजे समस्या और ज्यादा बढ़ गई। अनीशा की आंख में खिंचाव था, जीभ फड़क रही थी, चेहरा एक तरफ झुका हुआ था, वह बोल नहीं पा रही थी। तुरंत एम्बुलेंस बुलाई गई। जब तक हम अस्पताल पहुंचे, उसकी हालत और खराब हो गई थी।
उसकी दाहिनी आंख आंसुओं से सूज गई थी। आंख में मोटी परत जैसी आ गई थी। वह दर्द से बुरी तरह कराहने लगी। उसे तुरंत आईसीयू में ले जाया गया। शुगर का स्तर 520 तक पहुंच गया था। प्रदीप ने कहा कि अनीशा को इससे पहले डायबिटीज या स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं नहीं थीं। आगे की जांचों से पता चला कि उसके गुर्दे में सूजन थी और मूत्र में नमक की मात्रा अधिक थी। वह उस समय भी कोरोना पॉजिटिव थी।
प्रदीप ने बताया कि जांच के बाद 13 तारीख की रात को पता चला कि अनीशा ब्लैक फंगस का शिकार हो गई है। तब तक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी। फंगस ने अनीशा के शरीर को पूरी तरह से संक्रमित कर दिया था। रक्त जहां भी गया वहां फंगस मौजूद था। इसका प्रभाव हृदय और किडनी पर भी हुआ। डॉक्टरों ने कहा कि उसे पॉवरफुल दवाएं नहीं दी जा सकतीं क्योंकि उसे गुर्दे की समस्या थी और ब्लड शुगर भी हाई था।
डॉक्टर ने शुगर को कम करने के लिए इंसुलिन दिया गया। दवाओं के असर से शुगर 230 पर आ गई, लेकिन यह फिर से बढ़ गई। 16 मई तक अनीशा की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने किसी अन्य अस्पताल में ले जाने की सलाह दी, जहां उसे अच्छा उपचार मिल सके।
17 मई को उसे तिरुवनंतपुरम में श्रीचित्रा अस्पताल लाया गया। शुगर 300 और 400 के बीच बनी रही। आंख में असहनीय दर्द था। दर्द के कारण अनीशा बेकाबू हो जाती थी। काफी प्रयासों के बाद आखिरकार अनीशा जिंदगी की जंग हार गई। उसने दम तोड़ दिया।
अपनी पत्नी के आकस्मिक निधन दुखी प्रदीप ने लोगों की अपील की कि वह उम्र की परवाह किए बिना डायबिटीज की जांच अवश्य करवाएं। स्टेरॉयड जैसी चीजें मधुमेह के स्तर को और बढ़ाती हैं। अत: स्टेरॉयड लेने से पहले डायबिटीज की जांच अवश्य करवाएं। ताकि जिस स्थिति से मैं गुजरा हूं, किसी और को न गुजरना पड़े...