देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर से 4 महीने की योग निद्रा पूरी कर पृथ्वी लोक पर आकर इस चराचर जगत की बागडोर संभालते हैं। भगवान विष्णु के बागडोर संभालने से पहले यह बागडोर भगवान शिव के पास रहती है। अब देवोत्थान एकादशी से देवशयनी एकादशी तक यानी 8 माह तक भगवान विष्णु इस चराचर जगत की कमान संभालेंगे।
भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में विचरण करने के चलते हरिद्वार में हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में गंगा जी की विशेष आरती का आयोजन किया गया है। इस विशेष गंगा आरती के साक्षी दूरदराज से आए श्रद्धालु भी बने हैं। हर की पैड़ी पर आज 108 दीप दान गंगा जी करने के साथ 21 विशेष आरतियों के साथ गंगा की पूजा-अर्चना की गई है।
मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु हर की पैड़ी के ब्रह्म कुंड में क्षीर सागर से पधारते हैं, जहां पर भगवान शिव और ब्रह्मा जी उनका स्वागत करते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान शिव गंगा के तट पर ब्रह्मा जी के सान्निध्य में पृथ्वी धाम की बागडोर विष्णु जी के सुपुर्द करते हैं।
इस पावन दिन का हरिद्वार में विशेष महत्व है, क्योंकि इस अवसर पर दूर-दूर से भक्त गंगा में डुबकी लगाकर अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं, साथ ही वह भक्ति भावना से ओतप्रोत होकर गंगा दीपदान भी करते हैं। हर की पैड़ी की भव्यता देखते ही बनती है, यहां गंगा की होने वाली आरती सबका मन मोह लेती है।
गंगा मैया की आरती में शामिल होने वाले भक्त इस भव्यता और विशेष आरती को अपने मोबाइल में कैद करने के लिए आतुर नजर आए, वही गंगा तट का कण-कण अध्यात्म में सराबोर नजर आता है। हरिद्वार में हर की पैड़ी पर बना ब्रह्मकुंड धाम में एक ऐसा तीर्थ है, जहां पर देवोत्थान एकादशी के दिन ब्रह्मा, विष्णु, महेश एक साथ उपस्थित होते हैं।
माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु हरिद्वार से बद्रीनाथ धाम तथा भगवान शिव केदारनाथ की तरफ निकल जाते हैं। इसलिए हरिद्वार को हर और हरि दोनों का द्वार कहा जाता है, हरि यानी भगवान विष्णु और हर यानी भगवान शिव। इस दिव्य भव्य आरती का आयोजन हर की पैड़ी पर प्रबंधकारिणी संस्था श्री गंगा सभा द्वारा किए जाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।