मुंबई। शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने मुख्यमंत्री एवं पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दावा किया कि शिवसेना विधायक ढाई साल से अपमान का सामना कर रहे थे जिसके चलते मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जाने का कदम उठाया। पत्र को शिंदे ने अपने ट्विटर पेज पर पोस्ट किया है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ठाकरे बुधवार रात अपने आधिकारिक आवास 'वर्षा' से उपनगरीय बांद्रा में ठाकरे परिवार के निजी बंगले 'मातोश्री' में चले गए।
पत्र में शिरसाट ने महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को असल विरोधी बताते हुए दावा किया है कि पार्टी विधायकों की मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं है, लेकिन इन दोनों दलों पर सारा ध्यान दिया जाता है।
औरंगाबाद (पश्चिम) से विधायक शिरसाट ने 22 जून को लिखे पत्र में दावा किया कि शिवसेना के सत्ता में होने और उसका अपना मुख्यमंत्री होने के बावजूद ठाकरे के आसपास की मंडली ने उन्हें कभी भी 'वर्षा' तक पहुंचने नहीं दिया। वर्षा मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास है। उन्होंने कहा कि 'मंत्रालय' जाने का तो सवाल ही नहीं था, क्योंकि वहां मुख्यमंत्री कभी नहीं आए।
पत्र को शिंदे ने अपने ट्विटर पेज पर पोस्ट किया है, जिसमें दावा किया गया है कि ये शिवसेना के विधायकों की भावनाएं हैं। शिंदे शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को संकट में डालकर पार्टी के बागी विधायकों के संग असम के गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं।
पत्र में शिरसाट ने कहा कि शिंदे ने पार्टी के विधायकों की शिकायतें, उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों और निधि से जुड़े मामलों के बारे में उनकी बात सुनी, साथ ही सहयोगी कांग्रेस और राकांपा के साथ उनकी समस्याओं को भी सुना और इनको हल करने के लिए कदम उठाए।
उन्होंने कहा, पार्टी के विधायकों ने शिंदे को सभी विधायकों के अधिकारों के लिए (विद्रोह का) यह कदम उठाने के लिए कहा। उन्होंने दावा किया कि शिवसेना के विधायकों की मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं थी, जबकि पार्टी के असली विरोधी होने के बावजूद कांग्रेस और राकांपा पर पूरा ध्यान दिया जा रहा था।
उन्होंने पूछा, राज्यसभा चुनाव में शिवसेना के वोट नहीं बंटे, फिर विधान परिषद चुनाव में हम पर इतना अविश्वास क्यों? एमवीए ने राज्य में 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव में छह सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार संजय पवार को भाजपा के धनंजय महाडिक के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
दस सीटों के लिए 20 जून को हुए विधान परिषद चुनाव में एमवीए को झटका लगा जब उसके छह में से एक उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा। विपक्षी भाजपा ने उन सभी सीटों पर जीत हासिल की जिस पर उसने चुनाव लड़ा था।
मुख्यमंत्री ठाकरे बुधवार रात दक्षिण मुंबई में अपने आधिकारिक आवास 'वर्षा' से उपनगरीय बांद्रा में ठाकरे परिवार के निजी बंगले मातोश्री में चले गए। इस दौरान बड़ी संख्या में शिवसेना कार्यकर्ता जमा हो गए थे। उद्धव ने कहा कि वह शिंदे की बगावत के मद्देनजर इस्तीफा नहीं देंगे।
'वर्षा' में बुधवार को शिवसैनिकों की शक्ति प्रदर्शन का जिक्र करते हुए शिरसाट ने पत्र में कहा, कल सही मायने में आम लोगों के लिए वर्षा के दरवाजे खोले गए। शिवसेना के विधायक होने के बावजूद हमारे लिए ये दरवाजे बंद थे।
विधायक ने कहा, आपके आसपास की मंडली ने हमें कभी भी आप तक पहुंचने नहीं दिया। जब भी हमें 'वर्षा' से फोन आया कि आप हमसे मिलना चाहते हैं, तो हमें आपकी मंडली ने कई घंटों तक इंतजार कराया। उन्होंने कभी हमारा फोन नहीं उठाया। तीन से चार लाख लोगों द्वारा चुने जाने के बावजूद हमें इस तरह अपमानित क्यों होना चाहिए?
शिरसाट ने यह भी कहा कि पार्टी के विधायकों को महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या जाने की अनुमति नहीं थी। आदित्य ठाकरे 15 जून को उत्तर प्रदेश के अयोध्या गए थे।उन्होंने कहा, क्या हिंदुत्व, राम मंदिर, अयोध्या शिवसेना के मूल मुद्दे नहीं हैं? फिर हमें आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या जाने से क्यों रोका गया?
विधायक ने कहा कि वह हवाई अड्डे पर अपना सामान लेकर पहुंच गए थे जब उन्हें यह बताया गया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोई भी विधायक आदित्य ठाकरे के साथ (अयोध्या) नहीं जाएगा। शिरसाट ने कहा, जमीनी स्तर पर शिवसैनिक हमसे सवाल करते हैं कि हमारा मुख्यमंत्री होने के बावजूद हमारे असली विरोधियों कांग्रेस और राकांपा की आप तक पहुंच कैसे हैं और उन्हें विकास निधि कैसे मिल जाती है।
उन्होंने कहा, हमें अपने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं को जवाब देने में मुश्किल होती कि सत्ता में रहने के बावजूद शिवसेना के विधायकों को किनारे क्यों किया गया। हमारे मुश्किल समय में शिंदे हमारे साथ खड़े रहे, यही वजह है कि आज हम उनके साथ हैं।(भाषा)