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सांसद संजय राउत ने कहा, जब दोनों सदनों में बहुमत तो मंदिर निर्माण में देरी किस बात की?

हमें फॉलो करें सांसद संजय राउत ने कहा, जब दोनों सदनों में बहुमत तो मंदिर निर्माण में देरी किस बात की?
, बुधवार, 21 नवंबर 2018 (21:32 IST)
अयोध्या। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए शिवसेना के सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा कि भगवान राम के नाम पर केंद्र और राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा रामलला के भव्य मंदिर निर्माण में देरी क्यों कर रही है?
 
 
सरयू तट पर लक्ष्मण किला मंदिर में भूमिपूजन के बाद पत्रकारों से बातचीत में राउत ने कहा कि केंद्र और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अर्थात रामलला की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है तो मंदिर निर्माण में देरी क्यों हो रही है? यह सवाल सिर्फ शिवसेना का ही नहीं है बल्कि देशभर में करोड़ों रामभक्तों का भाजपा सरकार से है।
 
उन्होंने कहा कि उनका दल केंद्र सरकार से मांग करता है कि लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी भाजपा का पूरा बहुमत है, तो सरकार जल्द से जल्द अध्यादेश लाए जिससे कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण हो सके। भगवान राम ने सत्ता दी है। राम सत्ता देना भी जानते हैं, तो लेना भी जानते हैं। कहीं ऐसा न हो कि वे वनवास दे दें। केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक और एससी/ एसटी एक्ट पर कानून बना सकती है, तो अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए कानून क्यों नहीं बना सकती?
 
राज्यसभा सांसद ने कहा कि राम के नाम पर केंद्र की मोदी सरकार आई। अगर यह सरकार राम मंदिर पर कानून नहीं लाती है तो आगे जो होगा, वह राम ही करेंगे। अयोध्या में राम मंदिर होना चाहिए और लगभग सभी पक्षकारों का भी यही मत है। जहां तक मेरा मानना है कि मंदिर के लिए सभी पक्षकार एकमत हैं।
 
एक सवाल के जवाब में राउत ने कहा कि बाबरी विध्वंस के बाद 25 सालों तक हमने इंतजार किया कि कभी न कभी पूरे देश में बहुमत वाली सरकार रामलला की आएगी। वह सरकार आने के बाद राम मंदिर बनेगा, यह हमारी मंशा थी और सरकार आ भी गई। उसी मंशा को याद दिलाने के लिए शिवसेना प्रमुख को अयोध्या आना पड़ रहा है तथा नरेन्द्र मोदी अपने भव्य मंदिर निर्माण के वादे को पूरा करें।
 
शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि 24 नवंबर को शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे का अयोध्या में आगमन हो रहा है जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। लक्ष्मण किला मंदिर में संत-महंतों व रामभक्तों द्वारा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ सम्मान व आशीर्वाद समारोह का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपालदासजी करेंगे।
 
उन्होंने बताया कि उसके बाद उसी दिन उद्धव ठाकरे सायंकाल 6 बजे सरयू आरती में भाग लेंगे। अगले दिन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ आए हुए रामभक्त भी विवादित राम जन्मभूमि पर विराजमान रामलला के दर्शन भी करेंगे तथा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के अयोध्या के आगमन के कार्यक्रम के बारे में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह जानकारी दे दी गई है।
 
राउत ने कहा कि उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य की कानून व्यवस्था चलाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। तय कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दे दी गई है। हमारे सभी कार्यक्रम ठीक तरह से होंगे। कार्यक्रम में कोई फेरबदल नहीं किया जाएगा। लक्ष्मण किला के मैदान पर आशीर्वाद का कार्यक्रम होगा वहीं हमारा जनसंवाद का भी कार्यक्रम है। अयोध्या में कोई सिस्टम नहीं बिगड़ेगा, क्योंकि विहिप हो या आरएसएस- सभी हिन्दूवादी संगठन हैं। बाला साहब ठाकरे की शिवसेना भी प्रखर हिन्दूवादी व राष्ट्रवादी संगठन है।
 
राज्यसभा सांसद ने कहा कि बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी से एक-दो बार मुलाकात हो चुकी है। मैं उनके घर खुद गया हूं। हमने इकबाल को आश्वस्त किया कि उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। यह हिन्दुस्तान है और इस देश के सभी मुसलमान सुरक्षित हैं। इस मौके पर लक्ष्मण किला के महंत मैथिलीरमण शरण, महाराष्ट्र सरकार के लोक निर्माण मंत्री एकनाथ शिंदे, अमरनाथ मिश्रा आदि मौजूद रहे।
 
गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने 24 नवंबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के कार्यक्रम व विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित धर्मसभा के कार्यक्रम में लाखों रामभक्तों के आगमन पर कहा था कि यह अयोध्या के मुसलमानों के लिए खतरा बन गया है जिस पर प्रदेश सरकार से उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी।
 
उन्होंने यह भी कहा था कि 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी तब बाहर के ही लोग अयोध्या में आए थे और मस्जिदों में तोड़फोड़ तथा अन्य घटनाएं भी हुई थीं। इसी को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने यहां के मुस्लिम समाज के लिए सुरक्षा व्यवस्था की मांग प्रदेश के मुख्यमंत्री व स्थानीय प्रशासन से की थी। (वार्ता)

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