Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

राजस्थान विधानसभा का फैसला, हुक्का बार और ई-सिगरेट पर लगेगा पूर्ण प्रतिबंध

हमें फॉलो करें राजस्थान विधानसभा का फैसला, हुक्का बार और ई-सिगरेट पर लगेगा पूर्ण प्रतिबंध
, शुक्रवार, 2 अगस्त 2019 (22:49 IST)
जयपुर। राजस्थान विधानसभा ने शुक्रवार को सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) (राजस्थान संशोधन) विधेयक और राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2019 ध्वनिमत से पारित कर दिया।
 
राजस्थान विधानसभा में सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2019 को पेश करते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2018 की फैक्ट शीट के अनुसार तम्बाकू उत्पादों के उपयोग से विश्वभर में प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख तथा हमारे देश में लगभग 10 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
 
इस अनुमान के अनुसार राजस्थान में लगभग 50 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु तम्बाकू पदार्थों के सेवन से होती है। तम्बाकू के कारण होने वाले रोगों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, कैंसर, श्वसन रोग, स्ट्रोक आदि प्रमुख हैं।
 
उन्होंने बताया कि जन घोषणा पत्र में की गई घोषणा को पूरा करने के लिए राज्य में हुक्का बार संचालन एवं ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध की कार्रवाई हेतु यह विधेयक प्रस्तुत किया गया है। वर्तमान में हुक्का बार संचालन पर चिकित्सा विभाग तथा पुलिस विभाग द्वारा केंद्रीय सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पादन अधिनियम, 2003 के तहत तथा आईपीसी के संबंधित प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है।
 
शर्मा ने सदन में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2019 पेश करते हुए कहा कि यह संशोधन विधेयक पारदर्शिता की दृष्टि से लाया गया है। मूल अधिनियम में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) के कुलपति द्वारा अपने कार्यों का निर्वहन सही तरीके से नहीं किए जाने पर पद से हटाए जाने का प्रावधान था, परंतु बाद में इस अधिनियम में संशोधन कर इस प्रावधान को हटा दिया गया था।
 
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2005 के अधिनियम में कुलपति को हटाने जाने का प्रावधान किए जाने के लिए संशोधन अधिनियम पारित कर धारा 11 (ए) जोड़ी जानी प्रस्तावित की गई।
 
डॉ. शर्मा ने कहा कि वर्तमान में अधिनियम में आरयूएचएस के कुलपति की नियुक्ति के संबंध में तो स्पष्ट प्रावधान है लेकिन प्रक्रियाधीन जांच के दौरान अथवा जांच में दोष सिद्ध पाए जाने पर कुलपति के विरुद्ध कार्यवाही संबंधी कोई प्रावधान नहीं है। राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के विरुद्ध नियुक्ति में अनियमितताओं, वित्तीय कुप्रबंधन, प्रशासनिक दृष्टि से अनुचित निर्देश की स्थिति में यह वांछनीय है कि कुलपति को जांच प्रक्रिया के दौरान कुलपति पद के कर्तव्यों के निर्वहन से वंचित करने तथा निलंबन करने का अधिनियम में प्रावधान हो। 
 
उन्होंने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने पर कुलपति पद से हटाए जाने का अधिनियम में समुचित प्रावधान हो ताकि विश्वविद्यालयों के कार्यकलापों में अधिक पारदर्शिता हो और नियमों की अनुपालना सुनिश्चित की जा सके।
 
उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारी सरकार विश्वविद्यालय की पूर्ण स्वायत्तता की पक्षधर है। हम विश्वविद्यालय की स्वायत्तता में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। हमारा उद्देश्य यह है कि विश्वविद्यालय में निरंकुशता, अनियमितता और पक्षपात की स्थितियां उत्पन्न न हो और ऐसी स्थितियां उत्पन्न होने पर कार्रवाई की जा सके।
 
डॉ. शर्मा ने कहा कि कुलपति द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने, विश्वविद्यालय के अधिनियम की अवहेलना करने या विश्वविद्यालयों के हितों पर कुठाराघात करने की स्थिति में राज्य सरकार के परामर्श से कुलपति को हटाए जाने या जांच के दौरान निलंबित करने का अधिकार कुलाधिपति को होना जरूरी है। इस तरह का प्रावधान महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों में भी मौजूद है।
 
इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इंडोनेशिया में 6.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप, सुनामी की चेतावनी जारी