रेलवे की एक छोटी सी गलती किसी के लिए कितनी बड़ी मुसीबत बन सकती है, उसका उदाहरण है वह बुजुर्ग यात्री जिसे एक हजार साल आगे का यात्रा टिकट दे दिया गया और टीटी ने उसे बीच सफर में ही उतार दिया। हालांकि बाद में इसका खामियाजा रेलवे को भुगतना पड़ा।
खबरों के मुताबिक, 19 नवंबर 2013 को 73 वर्षीय विष्णु कांत शुक्ला हिमगिरी एक्सप्रेस से सहारनपुर से जौनपुर की यात्रा कर रहे थे। वे सहारनपुर के जेवी जैन डिग्री कॉलेज से रिटायर प्रोफेसर हैं। उन्होंने जब अपना यात्रा टिकट लिया तो रेलवे ने उन्हें गलती से एक हजार साल आगे की यात्रा अर्थात साल 2013 के बजाय 1000 साल आगे की तारीख यानी साल 3013 का टिकट थमा दिया।
सफर में टिकट चेकिंग के दौरान शुक्ला को टीटीई ने मुरादाबाद में ट्रेन से नीचे उतार दिया। शुक्ला ने टीटीई के समक्ष कई बार मिन्नतें कीं, लेकिन उसने एक नहीं सुनी, बल्कि उन्हें अपमानित भी किया और 800 रुपए का जुर्माना भी ले लिया। जबकि उनकी यात्रा महत्वपूर्ण थी क्योंकि उन्हें अपने दोस्त के घर जाना था, जिसकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी।
बाद में यात्री ने उपभोक्ता अदालत में भारतीय रेलवे के खिलाफ केस दर्ज करवाया। पांच साल तक चले केस में अदालत ने शुक्ला के पक्ष में फैसला दिया। अदालत ने रेलवे पर यात्री का मानसिक उत्पीड़न करने के लिए 10000 और अतिरिक्त 3000 रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। अदालत ने पाया कि किसी बुजुर्ग शख्स को यात्रा के बीच में से ट्रेन से उतारने पर उसे असहनीय शारीरिक और मानसिक पीड़ा पहुंचती है।