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जहां-जहां पांव पड़े रघुवीर के, वहां-वहां उप्र सरकार बनाएगी रामायण सर्किट

हमें फॉलो करें जहां-जहां पांव पड़े रघुवीर के, वहां-वहां उप्र सरकार बनाएगी रामायण सर्किट
, रविवार, 24 जून 2018 (15:00 IST)
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं है और उत्तरप्रदेश सरकार रामायण सर्किट के निर्माण की योजना को आकार दे रही है जिसमें 9 राज्यों के ऐसे 15 स्थानों को जोड़ा जाएगा, जहां कभी भगवान राम के पांव पड़े थे।
 
 
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने 'भाषा' को बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार 'रामायण सर्किट' के विशाल सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह 'एक्शन' में है और इसके लिए 133.30 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी गई है। योगी सरकार की यह कवायद 2019 के लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखी जा रही है। 'स्वदेश दर्शन योजना' के अंतर्गत आने वाले 13 पर्यटन सर्किट में 'रामायण सर्किट' भी शामिल है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास तहत पर्यटन मंत्रालय की एक समिति ने रामायण सर्किट में उन 15 स्थानों को चुना गया है, जहां से कभी भगवान राम होकर गुजरे थे।
 
दरअसल, रामायण सर्किट का प्रस्ताव केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने रखा था। प्रवक्ता ने बताया कि रामायण सर्किट का मार्ग उत्तरप्रदेश में अयोध्या, श्रृंगवेरपुर और चित्रकूट, बिहार में सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा, पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम, ओडिशा में महेन्द्र गिरि, छत्तीसगढ़ में जगदलपुर, तेलंगाना में भद्राचलम, तमिलनाडु में रामेश्वरम्, कर्नाटक में हंपी, महाराष्ट्र में नासिक और नागपुर तथा चित्रकूट से होकर गुजरेगा।
 
अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के मकसद से योगी ने वहां दिवाली पर दीपोत्सव मनाया था। इसका जोर-शोर से प्रचार भी किया गया। रामायण सर्किट की ही तर्ज पर कृष्ण सर्किट और बौद्ध सर्किट को ​भी विकसित करने की व्यापक कार्ययोजना योगी सरकार ने बनाई है।
 
इसके अलावा दुनिया के प्राचीनतम नगरों में से एक काशी (वाराणसी) के विकास की कार्ययोजना तैयार है, जो स्वयं केंद्र सरकार की निगरानी में संचालित हो रही है। मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी है। विश्वप्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र के भी विकास एवं सौन्दर्यीकरण की योजना को हरी झंडी मिल गई है।
 
योगी कैबिनेट ने अयोध्या-फैजाबाद को नगर निगम बनाने का भी महत्वपूर्ण फैसला किया है। प्रवक्ता ने बताया कि अयोध्या में 7.04 करोड़ रुपए की लागत से बस डिपो बनाया जाएगा। यह बस डिपो अयोध्या बाईपास पर 1.384 हैक्टेयर जमीन पर बनेगा।
 
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई में नेपाल में जनकपुर-अयोध्या बस सेवा को हरी झंडी दिखाई थी। उसी समय पता चला था कि अयोध्या में बस डिपो नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक पीपी सिन्हा ने कहा कि कुल मिलाकर 2019 तक राम जन्मभूमि मुद्दे का फैसला आए या ना आए, लेकिन रामायण सर्किट जैसी पहल से आगामी लोकसभा चुनावों को साधने का विकल्प तैयार कर लिया गया है।
 
हनुमानगढ़ी की उज्जैनिया पट्टी के महंत राजू दास ने बताया कि धार्मिक रूप से अयोध्या विश्व में हिन्दू आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। अयोध्या नगरी हमेशा से उपेक्षित रही है, चाहे वह किसी का भी शासनकाल रहा हो। कल्याण सिंह जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने कुछ ध्यान दिया था।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से जनकपुरी (सीता की जन्मस्थली, नेपाल) से अयोध्या की बस सेवा तो शुरू हो गई लेकिन ये दुर्भाग्य है कि अयोध्या में अब तक बस अड्डा भी नहीं है। रामायण सर्किट सहित अयोध्या के विकास के लिए योगी सरकार की ओर से की जा रही पहल सराहनीय है। साधु-संतों की सरकार से अपेक्षा है कि अयोध्या का ऐसा विकास हो, जो दिखे। वह विकास स्थायी हो। जो मठ-मंदिर जीर्ण-शीर्ण पड़े हैं, उनका जीर्णोद्धार कराया जाए।
 
इस बीच पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि अयोध्या को विश्व पटल पर प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पूरी तैयारी है। इसके भरसक प्रयास किए जा रहे हैं और ये जल्द ही जमीनी सच्चाई बनेगा। (भाषा)

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