मुंबई। मुंबई पुलिस ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि टीआरपी से हेरफेर के मामले में रिपब्लिक टीवी और उसके प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कुछ सबूत मिले हैं, इसलिए वह नहीं चाहती है कि किसी दंडात्मक कार्रवाई से उन्हें सुरक्षा मिलती रहे।
हालांकि उच्च न्यायालय ने किसी भी दलील को सुने बिना मामले की सुनवाई स्थगित कर दी तो मुंबई पुलिस सुनवाई की अगली तारीख 15 जनवरी तक किसी भी तरह का दंडात्मक कदम नहीं उठाने के अपने पूर्व के आश्वासन को जारी रखने पर सहमत हो गई।
ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) द्वारा एक शिकायत दर्ज कराने के बाद टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) से हेरफेर का मामला सामने आया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि विज्ञापनदाताओं से ज्यादा राजस्व जुटाने के लिए कुछ टीवी चैनलों ने टीआरपी नंबर के साथ हेरफेर किया।
उच्च न्यायालय ने बुधवार को बिना कोई दलीलें सुने ही कार्यवाही तब स्थगित कर दी जब रिपब्लिक टीवी के वकील ने अदालत को बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे पेश नहीं हो पाएंगे, जबकि दूसरे वरिष्ठ वकील परिवार में किसी को आपात चिकित्सा की जरूरत के कारण नहीं आ पाए हैं।
इस पर मुंबई पुलिस के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई की अगली तारीख तक आरोपियों के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से परहेज करने पर सहमति जताई। सिब्बल ने सुनवाई स्थगित किए जाने का हवाला देते हुए कहा, हमें (मुंबई पुलिस) रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी के खिलाफ बार्क के मामले में जांच के दौरान साक्ष्य मिले हैं।
हम (पुलिस) इस आपात स्थिति के कारण (आरोपियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने पर) सहमत हैं।सिब्बल ने अदालत से यह भी कहा कि पुलिस अगली सुनवाई के दौरान मामले में अपनी जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करेगी।
पिछले साल 16 दिसंबर को सिब्बल ने उच्च न्यायालय से कहा था कि रिपब्लिक टीवी का संचालन करने वाली एआरजी आउटलाइयर मीडिया (एओएम) के किसी भी कर्मचारी या गोस्वामी के खिलाफ छह जनवरी तक दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी।
एओएम ने पिछले साल उच्च न्यायालय का रुख कर अनुरोध किया था कि उसके कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस को दंडात्मक कार्रवाई से रोकने का निर्देश दिया जाए।(भाषा)