जम्मू। हिंसा के अतीत के अनुभव को लेकर श्रीनगर की जामा मस्जिद में ईद की नमाज को लेकर अभी तक पुलिस-प्रशासन और अंजुमे अकाफ जामिया के बीच कोई सहमति न बन पाने का नतीजा है कि नमाजियों में अभी भी असमंजस है कि कल ईद की नमाज कब और कहां होनी है।
दरअसल पुलिस चाहती है कि ईद की नमाज सुबह सात बजे से पहले ही खत्म हो जाए और मस्जिद प्रशासन इसे शांतिपूर्वक आयोजित करवाए तथा किसी भी प्रकार की हिंसा की जिम्मेदारी ले, पर जामिया कमेटी इसके लिए राजी नहीं है। जिसका मानना है कि हालात को काबू पाना न ही उसका काम है और न ही उसके बस की बात।
दरअसल वर्ष 2016 से लेकर 2019 तक का अगर रिकार्ड देखें तो ईद की नमाज के बाद हिंसा और पथराव का चोली-दामन का साथ रहा है। यही नहीं इसकी शुरूआत कथित तौर पर हमेशा ही श्रीनगर की जामा मस्जिद से हुई है।
इन हिंसा की वारदातों में 27 सुरक्षाकर्मी तथा सैकड़ों नागरिक जख्मी भी हुए थे। इन मामलों को लेकर नौहट्टा पुलिस थाना में कई केस भी दर्ज हैं। सिर्फ ईद की नमाज के बाद ही नहीं बल्कि वर्ष 2017 तथा 2019 में शब-ए-कद्र की रात के दौरान भी हिंसा की वारदातों की कथित शुरूआत इसी मस्जिद से हुई है।
जिस दौरान पत्थरबाजों ने पूरा नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया था। यही नहीं पिछले कुछ सालों से ऐसी हिंसा की वारदातों का खामियाजा जामिया नौहट्टा के इलाके के लोगों को भी भुगतना पड़ा था जो आज तक इन हिंसा की वारदातों में हुए नुकसान से उबर नहीं पाए हैं।
हालांकि कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 काल में कई महीनों तक इस मस्जिद में जुम्मे की नमाज की इजाजत नहीं दी गई थी और अब शांतिपूर्ण ईद की नमाज आयोजित करवाने को लेकर कौन जिम्मेदारी ले, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
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