शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने चुनावी वादे को निभाते हुए शुक्रवार को मंत्रिमंडल की अपनी पहली बैठक में पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को मंजूरी दे दी। नई पेंशन योजना (NPS) के तहत कर्मचारियों और पेंशनधारियों सहित 1.36 लाख से अधिक कर्मचारी हैं।
कांग्रेस पार्टी ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने का वादा किया था और वह इस पर कायम रही। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सुक्खू ने कहा कि आज से पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा और इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।
उन्होंने कहा, हम महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपए देने के अपने वादे को पूरा करेंगे और चंद्र कुमार, धनीराम शांडिल, अनिरुद्ध सिंह और जगत नेगी सहित कैबिनेट मंत्रियों को शामिल करते हुए एक उप समिति का गठन किया गया है, जो 30 दिनों में प्रतिमाह 1500 रुपए के वितरण की रूपरेखा तैयार करेगी।
एक लाख नौकरियों की संभावना तलाशने के लिए समिति का भी गठन किया गया है। इस वर्ष के लिए ओपीएस के तहत देनदारी लगभग 800 से 900 करोड़ रुपए है, जिसे डीजल पर वैट में तीन रुपए की वृद्धि जैसे संसाधन जुटाने से वहन किया जाएगा।
सुक्खू ने दोहराया कि राज्य सरकार ने ओपीएस को वोट के लिए नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा देने और हिमाचल के विकास का इतिहास लिखने वाले कर्मचारियों के स्वाभिमान की रक्षा के लिए बहाल किया है।
उन्होंने कहा कि मामले का गहराई से अध्ययन किया गया है और वित्त अधिकारियों द्वारा कुछ आपत्तियों के बावजूद, इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है और नई पेंशन योजना के तहत सभी कर्मचारियों को ओपीएस के दायरे में लाया जाएगा।
सुक्खू ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार ने लगभग 11000 करोड़ रुपए की बकाया राशि नहीं दी है, जिसमें कर्मचारियों को 4430 करोड़ रुपए, पेंशनधारियों को 5226 करोड़ रुपए और छठे वेतन आयोग के 1000 करोड़ रुपए का महंगाई भत्ता शामिल है। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन और फिजूलखर्ची के कारण राज्य 75000 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा हुआ है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा बजट का आवंटन किए बगैर खोले गए 900 से अधिक संस्थानों को गैर अधिसूचित कर दिया क्योंकि उन्हें शुरू करने के लिए 5000 करोड़ रुपए की राशि की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि कड़े फैसले लेने होंगे क्योंकि सरकार भारी कर्ज के तले नहीं चल सकती। एक जनवरी, 2004 से सरकारी सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारी नई पेंशन नीति (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं।
नई पेंशन योजना कर्मचारी महासंघ हिमाचल के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा, हमने सरकार को बताया था कि एनपीएस के तहत 2022-23 के लिए देनदारी 1632 करोड़ रुपए है, जिसमें से कर्मचारी और सरकार क्रमशः 680 करोड़ रुपए और 952 करोड़ रुपए जमा करेंगे, जबकि ओपीएस के तहत देयता केवल 147 करोड़ रुपए होगी।Edited By : Chetan Gour (भाषा)