पटना/ नई दिल्ली। बिहार के कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की टिप्पणी को लेकर रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक करीबी सहयोगी ने उनकी कड़ी आलोचना की और उन्हें दलित-विरोधी बताया।
राज्य मंत्रिमंडल के एक प्रभावशाली सदस्य अशोक चौधरी ने राजद नेता द्वारा भक्त चरण दास के खिलाफ एक बिहारी शब्द का इस्तेमाल किए जाने की निंदा की। चौधरी ने कहा कि वह तारापुर और कुशेश्वर स्थान विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार करेंगे। ये दोनों सीट दो पुराने सहयोगी दलों के बीच टकराव की वजह बन गई है। प्रसाद के रविवार को यहां पहुंचने की संभावना है।
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस-राजद का गठबंधन खत्म हो गया है, इस पर प्रसाद ने झिड़कते हुए कहा, क्या होता है कांग्रेस का गठबंधन। क्या हम एक सीट कांग्रेस के हारने और अपनी जमानत जब्त कराने के लिए दे दें।
दास के इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि कांग्रेस को पीठ दिखाकर राजद, भारतीय जनता पार्टी की मदद कर रही हैं, इस पर उन्होंने कहा, भक्त चरण बेवकूफ हैं। चौधरी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री की भाषा पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यह उनकी दलित विरोधी मानसिकता दिखाती है। चौधरी, राज्य में राबड़ी देवी सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
प्रमुख दलित नेता चौधरी ने कहा, राजद हमेशा दलित विरोधी रही है। लालू ने भक्त चरण दास के खिलाफ जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है, उससे यह जाहिर होता है। हाल में तेजस्वी यादव उस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शामिल थे। यह भी दिखाता है कि पार्टी दलितों का सम्मान नहीं करती।
इससे पहले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद राजद प्रमुख के साथ अपनी बेहतर धर्मनिरपेक्ष साख के लिए नीतीश कुमार की प्रशंसा की। बिहार लोकसेवा आयोग के पूर्व प्रमुख अनिल शर्मा ने कहा, नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने गठबंधन के बावजूद भाजपा से हमेशा एक अलग रुख बनाए रखा है। गुजरात दंगों पर उनका रुख सभी जानते हैं। कुमार ने भागलपुर दंगों के दोषियों को सजा मिलना भी सुनिश्चित किया।
इस बीच, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने एक बयान में कहा, लालू प्रसाद को ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है। राजद की पीठ पर सवार होने वाली कांग्रेस बाहर से आए नेता कन्हैया कुमार के आने से अचानक उत्साह से भरती नजर आती है। पार्टी को अब लालू द्वारा और अपमान किए जाने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए, लालू शायद सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी नहीं बख्शेंगे।(भाषा)