कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा गठित समिति के सदस्य और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने मंगलवार को दावा किया कि कोलकाता में बदमाशों ने उन पर और उनकी टीम के अन्य सदस्यों पर हमला किया।
भारतीय जनता पार्टी ने इस घटना की निंदा करते हुए दावा किया है कि बंगाल में लोकतंत्र बर्बाद हो रहा है, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि घटना में सत्तारूढ़ पार्टी से कोई शामिल नहीं था। रशीद ने कहा कि जादवपुर इलाके में तथ्य का पता लगाने के दौरान टीम ने पाया कि 40 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं और इन मकानों के निवासी अब उसमें नहीं रहते हैं।
उन्होंने बताया, कुछ बदमाशों ने हम लोगों और पुलिस पर हमला किया। उन्होंने हमें पीटने की कोशिश की और हमें वहां से खदेड़ना चाहा। अगर यह हमारी स्थिति है तो आम लोगों की क्या दुर्दशा होती होगी।उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस यहां आई टीम को बचाने तक नहीं आई।
कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुछ लोगों ने जादवपुर में नारे लगाए, लेकिन उन्हें मौके से हटा दिया गया। राज्य के दौरे पर आई समिति का गठन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर किया है।
उच्च न्यायालय ने राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एनएचआरसी को समिति के गठन का निर्देश दिया था। पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि राज्य का तंत्र पश्चिम बंगाल में तानाशाही स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।(भाषा)