कोच्चि। केरल-तमिलनाडु सीमा पर नागरकोविल में एक अस्पताल में सोफिया मारिन बानू नामक एक महिला ने अपनी बच्ची को जन्म देने के 15 दिन बाद बुधवार को पहली बार बाहों में भरा। निजी अस्पताल एर्नाकुलम लीसी के स्वाथ्यकर्मियों ने स्वस्थ नवजात बच्ची को मारिन को सौंपा।
बच्ची का नागरकोविल अस्पताल में सीजेरियन के माध्यम से जन्म हुआ था जिसके तुरंत बाद एर्नाकुलम लीसी अस्पताल में उसकी हृदय संबंधी गंभीर समस्या की जटिल सर्जरी हुई थी। गर्भ में होने के दौरान ही उसकी दिल की समस्या का पता चल गया था और उसके माता-पिता ऐसे मामले को संभालने के लिए मशहूर एर्नाकुलम के निजी अस्पताल में प्रसव कराना चाहते थे।
अस्पताल सूत्रों ने कहा कि डॉक्टर ने कहा था कि डिलीवरी 30 अप्रैल को होगी, लेकिन महिला को उससे काफी पहले ही प्रसव पीड़ा होने लगी और उसने तमिलनाडु में नागरकोविल अस्पताल में बच्ची को जन्म दे दिया। अस्पताल सूत्रों ने यहां बताया कि जटिल हृदय रोग (बड़ी धमनियों में संक्रमण) के साथ जन्मी उस बच्ची को मां से मिला दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि बच्ची को 14 अप्रैल को जन्म के तुरंत बाद इलाज के लिए एंबुलेंस में एर्नाकुलम ले जाया जाना था जिसके लिए केरल और तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों ने बेजोड़ तालमेल दिखाते हुए कोविड-19 लॉकडाउन के चलते लगाए गए सभी नाके हटा दिए।
लीसी अस्पताल के एक कर्मचारी एबिन अब्राहम ने कहा कि यह एक जटिल सर्जरी थी। हमने इलाज के दौरान बच्ची को पूरी तरह एकांत में रखा। बच्ची के पिता एंबुलेंस में उसके साथ गए थे, लेकिन उन्हें अस्पताल में एक अलग कमरे में भेज दिया गया और उन्हें बच्ची को देखने की अनुमति नहीं थी। मारिन का यह तीसरा बच्चा है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के कार्यालय, एर्नाकुलम जिला कलेक्टर एस. सुहास और तमिलनाडु सरकार ने नागरकोविल अस्पताल में बच्ची के जन्म के तुरंत बाद उसे ले जाने वाली एम्बुलेंस की सुगम यात्रा के लिए मामले में हस्तक्षेप किया था। (भाषा) (सांकेतिक चित्र)