जम्मू में ‘चक्का जाम और बंद’ के बीच लगा ‘दरबार’

सुरेश एस डुग्गर
सोमवार, 6 नवंबर 2017 (22:03 IST)
जम्मू। राज्य की शीतकालीन राजधानी जम्मू में चक्का जाम, बंद के बीच सोमवार को राज्य सरकार के ‘दरबार’ अर्थात् नागरिक सचिवालय ने काम करना शुरू कर दिया। छह महीने बाद जम्मू में दरबार खुलने के पहले दिन कड़े तेवर दिखाते हुए कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस व पैंथर्स पार्टी ने प्रदर्शन कर सरकार पर हर क्षेत्र में नाकाम रहने के आरोप लगाए। धक्का मुक्की के बीच पुलिस ने इन पार्टियों के कार्यकर्ताओं को सचिवालय की ओर कूच करने से रोका।
 
ऐसे हालात में सोमवार को सचिवालय पहुंची मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने साढ़े नौ बजे जम्मू कश्मीर पुलिस के गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। पहले दिन मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों का निरीक्षण करने के साथ मंत्रियों से भी भेंट की। 
 
मुख्यमंत्री महबूबा ने दरबार खुलने के पहले दिन मीडिया से बातचीत नहीं की। अलबत्ता लोक निमार्ण मंत्री नईम अख्तर ने डायलॉग के लिए केंद्र सरकार के वार्ताकार की नियुक्ति का स्वागत किया।
 
 
उन्होंने उम्मीद जताई कि बातचीत की प्रक्रिया के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि इसमें समय लगेगा। विपक्षी राजनीतिक पार्टियों, चेंबर ट्रेडर फेडरेडन व ट्रांसपोर्टरों के आह्वान पर सोमवार को जम्मू में बंद व चक्का जाम रहा। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सचिवालय की ओर कूच करने के प्रयास को पुलिस ने विफल कर दिया।

 
प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर के नेतृत्व में सुबह साढ़े दस बजे रेजीडेंसी रोड़ पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर गिरफ्तारियां दी। वरिष्ठ नेताओं श्यामलाल शर्मा, रमण भल्ला के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं को पुलिस ने टीआरसी के पास रोक लिया। इस दौरान धक्का-मुक्की के बीच कांग्रेस के कई नेताओं, कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद नेशनल कांफ्रेंस व पैंथर्स पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
 
 
शिक्षा राज्य मंत्री प्रिया सेठी के साथ मुख्यमंत्री ने दरबार स्थानांतरण के पहले दिन कर्मचारियों के साथ मुलाकात की.। उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने बताया कि दरबार स्थानांतरण के बाद यहां पर कार्यालय खुल गए और हम यह सुनिश्चित करने की उम्मीद करते हैं कि हम राज्य के लोगों के लिए सबसे अच्छा संभावित प्रशासन ले कर आए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सभी मोर्चों पर बेहतरीन संभावित विकास के लिए तीनों क्षेत्रों के सभी इलाकों में सभी वर्ग के लोगों तक पहुंचेगी।
 
 
नागरिक सचिवालय और ‘दरबार स्थानांतरण’ के अन्य कार्यालय गर्मी में छह महीने श्रीनगर से और साल के शेष छह महीने जम्मू से कामकाज संभालते हैं। महाराजा गुलाब सिंह ने सर्दी से बचने के लिए जम्मू से प्रशासन चलाने और गर्मी से बचने के लिए श्रीनगर से प्रशासन चलाने की खातिर 1872 में ‘दरबार स्थानांतरण’ की शुरुआत की थी।
 
150 सालों से चली आ रही यह परम्परा जम्मू कश्मीर को प्रतिवर्ष कम से कम 800 करोड़ की चपत लगा देती है लेकिन बावजूद इसके डोगरा शासकों के काल से चली आ रही इस परम्परा से मुक्ति इसलिए नहीं मिल पाई है क्योंकि इस संवेदनशील मुद्दे को हाथ लगाने से सभी सरकारें डरती रही हैं। राजधानी बदलने की प्रक्रिया ‘दरबार मूव’ के नाम से जानी जाती है।
 
 
याद रहे राज्य में हर छह महीने के बाद राजधानी बदल जाती है। गर्मियों में इसे श्रीनगर के राजधानी शहर में ले जाया जाता है और फिर सर्दियों की शुरूआत के साथ ही यह जम्मू में आ जाती है। इस राजधानी बदलने की प्रक्रिया को ‘दरबार मूव’ कहा जाता है जिसके तहत सिर्फ राजधानियां ही नहीं बदलती हैं बल्कि नागरिक सचिवालय, विधानसभा और मंत्रालयों का स्थान भी बदल जाता है।

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