मुंबई। आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश की विवादित पूर्व सचिव मां आनंद शीला ने बुधवार को दावा किया कि वे ध्यान लगाने को बोझिल काम मानती हैं और आध्यात्मिक के बजाय अपराधी बनना पसंद करेंगी। आध्यात्मिक गुरुओं के प्रचार का भंडाफोड़ करने की इच्छा जताते हुए उन्होंने कहा कि 'लोग ध्यान और ज्ञान को बेचते' हैं।
अमेरिका में अपराध के लिए दोषी ठहराई गईं और जेल में सजा काट चुकी 70 वर्षीय शीला ने स्टार्टअप उद्यमियों के वार्षिक सम्मेलन टियोकॉन को संबोधित करते हुए यह बात कही। शीला वृत्तचित्र 'वाइल्ड वाइल्ड कंट्री' के साथ लौटीं जिसमें दिखाया है कि रजनीश द्वारा अमेरिका के ओरेगन में स्थापित महत्वाकांक्षी 'रजनीशपुरम' कैसे असफल हुआ।
मूल रूप से वडोदरा के गुजरात की रहने वालीं शीला ने बताया कि उन्होंने कभी भी ध्यान नहीं लगाया और एक बार निजी मुलाकात में ओशो ने कहा था कि उन्हें ध्यान लगाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनका काम ही ध्यान है।
शीला ने बताया कि अमेरिका में जेल की दीवार पर पेंटिंग कर उन्होंने 1,50,000 डॉलर कमाए और 1980 में जेल प्रशासन ने सजा कम करने में मदद की।
उन्होंने दावा किया कि ओरेगन समुदाय की 'रानी' के नाते उन्होंने अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को स्वीकार किया जिनमें स्थानीय मतदाताओं को जहर देकर मारने की कोशिश और रजनीशपुरम के साथी को बचाने का आरोप शामिल है।
गौरतलब है कि रजनीश ने शीला पर कई आरोप लगाए थे लेकिन शीला ने बुधवार को दावा किया कि इसके बावजूद वे दोनों अच्छे दोस्त थे। शीला का पूरा नाम शीला अंबालाल पटेल है। उनका जन्म वडोदरा में 20 दिसंबर 1949 को हुआ। वे 1981 से 1985 तक रजनीश की निजी सचिव रहीं।