लखनऊ। उत्तर प्रदेश राजनीति में आलू कांड को लेकर बहुत बड़ा भूचाल आ गया था जब विधान भवन के सामने आलू फेंकने के मामले ने तूल पकड़ लिया था और आलू फेंकने के मामले को लेकर विपक्ष ने जमकर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सरकार पर हमला बोल दिया था और कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश सरकार भी आलू के मामले को लेकर बेहद गंभीर हो गई थी।
इसके परिणाम स्वरुप विधान भवन के बाहर ड्यूटी पर तैनात पुलिस वालों को सस्पेंड भी कर दिया गया था लेकिन आलू फेंकने के मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने देर रात कन्नौज से समाजवादी युवजन सभा के दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। और राजनीति से प्रेरित साजिश बताई है।
लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि राजभवन, विधानसभा और मुख्यमंत्री आवास के सामने से लेकर 1090 चौराहे तक आलू फेंकने के पीछे राजनीतिक साजिश थी। पुलिस ने कन्नौज ठठिया कस्बे में दबिश के दौरान लोडर भी जब्त किया है।
इस कार्यवाही के लिए सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा ने करीब 10 हजार से ज्यादा नंबरों को खंगाला। उसमें एक संदिग्ध नंबर संतोष पाल का मिला।जांच के दौरान बात साफ हो गई कि संतोष की गाड़ी सुबह 3.45 बजे इसी इलाके में सुबह में मिली थी। फुटेज में कन्नौज की गाड़ी दिखी। पुलिस ने पता लगाया और फिर आरोपियों को पकड़ा। आरोपी ने कबूला कि आलू उन्हीं लोगों ने फेंका था।
एसएसपी ने बताया कि लोडर चालक ने जो नाम बताएं उनके मोबाइल फोन की कॉल डिटेल निकलवाई तो बात सही निकली। पुलिस ने इस कांड में शामिल नेताओं के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल के आधार पर कई अन्य नेताओं को भी साजिश का हिस्सा बनाया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक का नाम अंकित सिंह और दूसरा डाला ड्राइवर व डाला मालिक संतोष पाल है।
गौरतबल है कि 7 जनवरी को विधान भवन, राजभवन, मुख्यमंत्री आवास के सामने भारी मात्रा में कुछ लोग आलू फेंक कर चले गए थे। माना जा रहा था कि किसानों ने सही दाम न मिलने के चलते विरोध स्वरूप ये आलू वहां फेंके हैं। जिसको लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर जमकर हमला बोला था।फिलहाल जो भी हो पुलिस ने आलू फेंकने के मामले में योगी सरकार की हो रही किरकिरी से राहत दिलाने का काम किया है।