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Life at 50°C: BBC की सीरीज, ऐसे लोगों की कहानियां जो समस्या का निकालते हैं आसान और किफायती हल

हमें फॉलो करें Life at 50°C: BBC की सीरीज, ऐसे लोगों की कहानियां जो समस्या का निकालते हैं आसान और किफायती हल
, गुरुवार, 28 अक्टूबर 2021 (19:37 IST)
बीबीसी हिन्दी ऐसे लोगों की कहानियां सामने लाता है जो किसी भी परेशानी का अपने स्तर पर समाधान निकाल लेते हैं। सीरीज में ऐसी कहानियों को प्रस्तुत किया गया है जिसमें देश ऐसे लोगों की कहानियों को प्रस्तुत किया गया है जिन्होंने किसी प्राकृतिक परेशानी का आसान और किफायती तरीका खोजा।

यह सीरीज बीबीसी के आउटलेट्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर चल रही है। इसमें भारत के साथ ही पाकिस्तान के लोगों की कहानियों को भी दिखाया जाएगा। ये कहानियां सुरभि टंडन द्वारा निर्देशित  Life at 50°C में दिखाई जा रही हैं। बीबीसी हिंदी, बीबीसी गुजराती, बीबीसी डॉट कॉम पर ये प्रसारित की जा रही हैं। 30 अक्टूबर और 31 अक्टूबर को यह कार्यक्रम दिखाया जाएगा।   
 
परेशानियों के हल के तरीकों को बताया गया है। ऐसी एक कहानी है दादी शकीला बानो की, जो अहमदाबाद की रहने वाली हैं। अहमदाबाद में तापमान 45 से 48 डिग्री तक रहता है। शकीला और उनके पोते गर्मी भरे कमरे में सोने में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। शकीला बानो ने अपने घर की छत को पेंट कर गर्मी से राहत पाने का किफायती तरीका निकाल लिया। 
 
दिल्ली में बर्फ विक्रेता मोहम्मद समीर गर्मी से बचने के बर्फ के ब्लॉक बनाकर बेचते हैं। लेकिन बढ़ती आधुनिकता से यह काम अब खत्म होता जा रहा है और उनके लिए आजीविका का संकट खड़ा होता जा रहा है। बर्फ व्यापारी मोहम्मद समीर कहते हैं कि 10 या 20 साल बाद यह काम गायब हो जाएगा।
 
उधर लद्दाख में पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक बर्फ के प्रयोग के लिए नया तरीका विकसित किया है, क्योंकि यहां के लोगों का जीवन नदियों पर निर्भर है और नदियां ग्लेशियर से। ग्लेशियर पर जलवायु परिवर्तन का असर हो रहा है और वे तेजी से पिघल रहे हैं। वांगचुक ने कृत्रिम ग्लेशियर बना रहे हैं।

अपने शंखाकार के कारण ये कृत्रिक ग्लेशियर जून तक नहीं पिघलते। जब वे ऐसा करते हैं, तो संग्रहीत पानी को सूखी भूमि की सिंचाई में मदद करने के लिए छोड़ दिया जाता है और धाराओं को भी बढ़ावा मिलता है।

इससे किसानों को ऐसे समय में पानी प्राप्त करने में सहातया मिलती है जब संसाधन में परेशानी होती है  वांगचुक कहते हैं कि हमारे ग्लेशियर न केवल हमारे कार्यों के कारण पिघल रहे हैं। पिछले दस वर्षों में हमने पहले ही 15% ग्लेशियर खो दिए हैं। इस सदी के अंत तक 70 प्रतिशत ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे।

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